Farming Tips: संतरे की खेती दिखने में जितनी सरल लगती है, असल में उतनी ही मेहनत, धैर्य और निरंतर देखभाल मांगती है. किसान पूरे साल पेड़ों को पनपाने में जान लगा देते हैं, लेकिन अगर किसी रोग का समय पर पता नहीं चला, तो पूरी फसल मिट्टी में मिल सकती है. इन्हीं खतरनाक रोगों में एक है झुलसा रोग (Blight)—जो संतरे की पत्तियों, शाखाओं और फलों पर काले या भूरे दाग के रूप में दिखता है और कुछ ही दिनों में पेड़ को कमजोर कर देता है. यदि इस बीमारी को शुरुआत में नहीं रोका गया, तो पूरा बगान इससे प्रभावित हो सकता है.
तो चलिए जानते हैं कि झुलसा रोग क्या है, यह कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या हैं और किसान इससे बचाव के लिए क्या कर सकते हैं.
झुलसा रोग क्या है और कैसे फैलता है?
झुलसा रोग संतरे के पेड़ों में आमतौर पर फंगल या बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से होता है. इसके प्रमुख कारण तीन बीमारियां हैं-साइट्रस कैंकर, साइट्रस ग्रीनिंग (HLB) और अल्टरनेरिया. ये संक्रमण हवा, बारिश, कीड़ों, संक्रमित उपकरणों और पहले से बीमार पौधों की वजह से तेजी से फैलते हैं. अगर किसी एक पेड़ में रोग लग गया और किसान तुरंत ध्यान नहीं देते, तो यह बीमारी धीरे-धीरे पूरे बागान में फैल सकती है.
पेड़ों और फलों पर कैसे दिखता है इसका असर?
झुलसा रोग का असर संतरे के पेड़ों पर गहराई तक होता है.
पत्तियों पर दाग और झड़ना- सबसे पहले पत्तियों पर छोटे-छोटे गोल, काले या भूरे दाग बनने लगते हैं. धीरे-धीरे पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं.
फलों पर उभरे घाव- साइट्रस कैंकर के कारण संतरे के फलों पर छाले जैसे उभरे हुए घाव बन जाते हैं. ऐसे फल दिखने में खराब लगते हैं और बाजार में बिक नहीं पाते.
हरे–पीले टेढ़े मेढ़े फल- साइट्रस ग्रीनिंग (HLB) के कारण पेड़ की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और फल छोटे, टेढ़े-मेढ़े और स्वाद में कड़वे हो जाते हैं. इस रोग से पेड़ सालों तक सही फल नहीं दे पाता.
पकते फलों पर काले धब्बे- अल्टरनेरिया फंगस पकते हुए फलों के ऊपर काले-भूरे धब्बे बनाता है. ऐसे फल जल्दी सड़ जाते हैं और ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते.
इन सभी लक्षणों का असर आखिरकार उत्पादन पर पड़ता है और किसान की कमाई आधी से भी कम हो जाती है.
कैसे करें बीमारी की पहचान?
अगर आपके बाग में किसी पेड़ पर की पत्तियों के किनारों पर काले घाव, फलों पर गहरे गोल धब्बे, पत्तियों का अचानक झड़ना, फलों का समय से पहले गिरना, शाखाओं का सूखना जैसे लक्षण दिखें, तो समझिए झुलसा रोग ने दस्तक दे दी है और तुरंत कार्रवाई जरूरी है.
किसान कैसे बचा सकते हैं अपनी फसल?
नियमित निगरानी ही बचाव की पहली चाबी
हर दो–तीन दिन में पेड़ों का निरीक्षण करें. शुरुआती लक्षण दिखते ही संक्रमित हिस्सों को काटकर नष्ट कर दें. इससे बीमारी फैलने से रुक जाती है.
साफ–सफाई रखें सबसे ऊपर
बाग में अत्यधिक नमी इस रोग को बढ़ाती है. इसलिए जल निकासी अच्छी रखें. फलों और पत्तियों को छूने वाले उपकरण हमेशा साफ रखें. संक्रमित पत्तियों और टहनियों को बगीचे में कभी न छोड़ें.
रोग-प्रतिरोधी किस्में बेहतर विकल्प
आजकल बाजार में कई ऐसी किस्में उपलब्ध हैं जो कैंकर और ग्रीनिंग के प्रति कम संवेदनशील होती हैं. किसान नई बागवानी शुरू करते समय इन किस्मों को चुनें तो नुकसान कम होगा.
जैविक और प्राकृतिक नियंत्रण
नीम आधारित घोल, जैविक फफूंदनाशी और लाभकारी कीट रोग रोकने में मदद करते हैं. इनका उपयोग करने से रसायनों पर निर्भरता कम होती है और पेड़ स्वस्थ भी रहते हैं.
बीमार पेड़ों को अलग रखें
अगर कोई पेड़ ज्यादा संक्रमित है, तो उसे अन्य पेड़ों से अलग करें और रोग फैलाने वाले पत्ते–फलों को खेत के बाहर नष्ट करें.