Poultry Business : गांवों में आजकल एक बार फिर मुर्गी पालन की चर्चा बढ़ गई है. वजह साफ है-कम खर्च में शुरू होने वाला यह कारोबार किसानों को लगातार कमाई का मौका देता है. खेती के साथ-साथ इसे आसानी से किया जा सकता है और सिर्फ 35-40 दिनों में मुनाफा भी मिलना शुरू हो जाता है. इसलिए कई युवा और किसान इसे अपनी अतिरिक्त और स्थायी आय का जरिया बना रहे हैं.
कम लागत में शुरू हो जाता है मुर्गी पालन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोल्ट्री फार्मिंग की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसे कम पूंजी में भी शुरू किया जा सकता है. करीब 40 हजार रुपये लगाकर 500 मुर्गियों के साथ यह बिजनेस शुरू हो जाता है. मुर्गियों के लिए बहुत बड़ी जमीन की जरूरत भी नहीं पड़ती. घर के पास की खाली जगह या गांव में उपलब्ध छोटा सा प्लॉट भी शुरुआती काम के लिए काफी है. मुर्गियों की देखभाल में ज्यादा खर्च नहीं होता और चूजे लेने के करीब 35-40 दिन बाद बड़े आकार की मुर्गियां तैयार हो जाती हैं, जिन्हें बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है. इसलिए छोटे किसान भी इस व्यवसाय को बड़ी तेजी से अपना रहे हैं.
रजिस्ट्रेशन और लोन की सुविधा भी आसान
पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए सरकार भी लोगों को प्रोत्साहित कर रही है. MSME के जरिए बहुत आसानी से रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है, जिससे सरकारी योजनाओं और लोन लाभ तक पहुंच आसान बनती है. ऑनलाइन उद्योग आधार पंजीकरण के लिए जरूरी विवरण भरकर कुछ ही मिनटों में सर्टिफिकेट मिल जाता है. इसके बाद किसान बैंक से लोन भी ले सकते हैं और सरकार इस पर 25 से 35 फीसदी तक सब्सिडी भी प्रदान करती है. इससे शुरुआती खर्च काफी कम हो जाता है और बिजनेस को बढ़ाना भी आसान होता है.
कमाई के दो बड़े रास्ते: अंडा और चिकन
मुर्गी पालन में आमदनी के मुख्य दो जरिए होते हैं-अंडा और चिकन. यदि किसान हर महीने अपने फार्म में 1500 चूजे डालते हैं, तो लगभग एक महीने बाद अच्छी क्वालिटी की लगभग 26 क्विंटल मुर्गियां तैयार हो जाती हैं. इनका बाजार में तुरंत अच्छा दाम मिल जाता है. दूसरी ओर, अंडों की मांग सालभर बनी रहती है. एक मुर्गी भी लगातार अंडे देती रहती है, जिससे किसानों को हर दिन कमाई होती है. यह लगातार और स्थिर आय का सबसे आसान तरीका माना जाता है.
रोजगार भी बढ़ाता है और खेती में मददगार भी
पोल्ट्री फार्मिंग का एक बड़ा फायदा यह भी है कि यह गांवों में रोजगार पैदा करता है. बड़े फार्मों पर कई लोग काम पाते हैं-चाहे वह मुर्गियों की देखभाल हो, चारा डालना हो या सफाई का काम. इसके अलावा, मुर्गियों का अपशिष्ट खेतों में बेहतरीन जैविक खाद की तरह काम करता है, जिससे पैदावार भी बढ़ती है और किसानों की उर्वरक पर लागत भी कम होती है. इसलिए यह कारोबार खेती और पशुपालन दोनों के लिए उपयोगी साबित होता है.
मुर्गी पालन आज सिर्फ एक पारंपरिक काम नहीं रहा, बल्कि तेजी से बढ़ता हुआ ऐसा व्यापार बन गया है, जिससे कम पूंजी वाले किसान भी कुछ ही महीनों में अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. सही देखभाल, सही जगह और थोड़ी मेहनत के साथ यह व्यवसाय किसी को भी आर्थिक रूप से मजबूत बना सकता है.