राइस मिल मालिकों का बड़ा फैसला! ओडिशा में नहीं होगी धान की मिलिंग.. इस वजह से हैं नाराज

ओडिशा के राइस मिलर्स ने कम मिलिंग चार्ज, भंडारण शुल्क और एफसीआई की मनमानी के विरोध में मिलिंग रोक दी है. AORMA का कहना है कि जब तक सरकार मांगों पर ठोस फैसला नहीं लेती, वे काम शुरू नहीं करेंगे.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 7 Jul, 2025 | 02:05 PM

ओडिशा में एमएसपी पर खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग करने वाले राइस मिल मालिकों ने मिलिंग रोकने का फैसला लिया है. मिल मालिकों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस भरोसा नहीं देती, वे काम दोबारा शुरू नहीं करेंगे. ऑल ओडिशा राइस मिलर्स एसोसिएशन (AORMA) कहना है कि कस्टम मिलिंग चार्ज पिछले 20 सालों से नहीं बढ़ाया गया है. फिलहाल एक क्विंटल धान की मिलिंग के बदले मिलर्स को सिर्फ 20 रुपये मिलते हैं, जो बहुत कम हैं.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एसोसिएशन के महासचिव लक्ष्मीनारायण दीपक रंजन दास ने कहा कि यह राशि बढ़ाकर 100 रुपये प्रति क्विंटल की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के लगभग सभी राज्यों ने कस्टम मिलिंग चार्ज बढ़ा दिए हैं. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में राइस मिलर्स को धान की मिलिंग के लिए 80 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं.

30 जून को धान खरीद खत्म

लक्ष्मीनारायण दीपक रंजन दास ने कहा कि रबी सीजन की धान खरीद प्रक्रिया 30 जून को पूरी हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार का कोई स्पष्ट फैसला नहीं आया है. हम अब भी उस निर्णय का इंतजार कर रहे हैं. दास ने कहा कि राइस मिलर्स की एक और अहम मांग है धान और चावल के भंडारण (कस्टडी मेंटेनेंस) चार्ज में बढ़ोतरी. फिलहाल सरकार उन्हें सिर्फ 7.20 रुपये प्रति क्विंटल सालाना देती है, जबकि गोदामों की भारी कमी की वजह से उन्हें भंडारण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बैठक में उठाया गया मुद्दा

दरअसल, रंजन दास का कहना है कि हाल ही में यह मुद्दा उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में उठाया गया था. बैठक में खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री कृष्ण चंद्र पात्रा और सहकारिता मंत्री प्रदीप बाल सामंत भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि हमें भरोसा दिलाया गया था कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार कर जल्द निर्णय लेगी और एसोसिएशन को इसकी जानकारी दी जाएगी.

ये हैं मिलर्स की मांगें

उन्होंने कहा कि हमने राज्य सरकार से मांग की है कि भंडारण का किराया उतना ही दिया जाए, जितना वे वेयरहाउस कॉरपोरेशन को देते हैं. लेकिन सरकार अब तक इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दे रही. इसके अलावा, मिलर्स को रोजाना सरकार की ओर से चावल न उठाए जाने की भी परेशानी है. साथ ही, कस्टम मिलिंग के बाद चावल की आपूर्ति के दौरान एफसीआई अधिकारियों द्वारा की जाने वाली मनमानी और परेशानियों की भी शिकायत मिलर्स ने की है.

जनरल बॉडी मीटिंग में होगा आगे का फैसला

वहीं, रविवार को पूरे ओडिशा के 30 जिलों के राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और ऑल ओडिशा राइस मिलर्स एसोसिएशन (AORMA) के पदाधिकारी भुवनेश्वर में मिले और सरकार के सामने लंबित सभी मुद्दों पर चर्चा की. अब आगे की रणनीति पर फैसला सोमवार को होने वाली जनरल बॉडी मीटिंग में लिया जाएगा.

 

 

 

 

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Published: 7 Jul, 2025 | 02:03 PM

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