एथेनॉल और चारा जरूरत से 2 साल में मक्का का दाम दोगुना हुआ, 265 मक्का किस्में तैयार

मक्का की बढ़ती जरूरत ने इसके दाम में भारी उछाल ला दिया है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बीते 2 साल के दौरान मक्का का दाम बढ़कर दोगुना के पार पहुंच गया है.

नोएडा | Updated On: 7 Jul, 2025 | 01:03 PM

एथेनॉल बनाने के लिए मक्का के बढ़ते इस्तेमाल के साथ पशुओं के लिए चारा-दाना बनाने में उपयोग बढ़ा है. जबकि, ह्यूमन प्रोडक्ट में पहले से ही बड़े पैमाने पर मक्का का इस्तेमाल किया जा रहा है. मक्का की बढ़ती जरूरत ने इसके दाम में भारी उछाल ला दिया है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बीते 2 साल के दौरान मक्का का दाम बढ़कर दोगुना के पार पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में 265 मक्का की किस्में अधिसूचित हैं, जिनमें 77 हाइब्रिड, 35 बायोफोर्टिफाइड, और कई स्पेशियल किस्में भी शामिल हैं.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज 7 जुलाई 2025 को नई दिल्ली स्थित फिक्की फेडरेशन हाउस में आयोजित 11वीं मक्का सम्मेलन 2025 का उद्घाटन सत्र माननीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ. अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने मक्का को भारत की खाद्य, पोषण और ऊर्जा सुरक्षा का आधार बताते हुए कहा कि “देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की आमदनी बढ़ाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्याप्त पोषणयुक्त अनाज उपलब्ध कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.”

मक्का का दाम और उत्पादन दोनों बढ़ा

कृषि मंत्री ने बताया कि भारत में 1990 के दशक में मक्का का उत्पादन केवल 10 मिलियन टन था, जो अब बढ़कर 42.3 मिलियन टन हो चुका है, और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 3.5 टन तक पहुंच गई है. उन्होंने यह भी कहा कि दो वर्ष पूर्व मक्का का मूल्य 1200–1300 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब 2400 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, और एथेनॉल निर्माण में मक्का की बढ़ती भूमिका ने इसके मूल्य में वृद्धि की है.

77 हाइब्रिड, 35 बायोफोर्टिफाइड मक्का किस्में तैयार

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में उच्च उत्पादकता का उल्लेख करते हुए अन्य राज्यों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने की सलाह दी. साथ ही, उन्होंने जानकारी दी कि भारत में वर्तमान में 265 मक्का की किस्में अधिसूचित हैं, जिनमें 77 हाइब्रिड, 35 बायोफोर्टिफाइड, और कई स्पेशियल्टी कॉर्न जैसे स्वीट कॉर्न व बेबी कॉर्न शामिल हैं. मंत्री ने प्राकृतिक खेती, स्टार्च की गुणवत्ता (70% से बढ़ाकर 72%), DDGS के विस्तार, और निर्यात योग्य गुणवत्ता के मक्का उत्पादन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया.

मक्का उपज के लिए मैकेनाइजेशन जरूरी

ICAR–भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) के निदेशक डॉ. एचएस जाट ने कहा कि यदि मक्का की उत्पादकता में और वृद्धि करनी है तो मैकेनाइजेशन (यंत्रीकरण) को तेजी से अपनाना होगा. उन्होंने Catchment Area Project के तहत एथेनॉल उद्योगों के आसपास मक्का उत्पादन को बढ़ाने की रणनीति की भी सराहना की और बताया कि पिछले साल 2024-25 हमने देश के 15 राज्यों के 78 जिलों में इस प्रोजेक्ट में कुल 2224 एकड़ क्षेत्र में मक्का का उत्पादन किया जबकि इस साल 2025-26 के केवल खरीफ मौसम में ही 1710 एकड़ क्षेत्र में मक्का का उत्पादन हो रहा हैं जो पिछले साल की तुलना में इस साल में डबल होने की उम्मीद है.

सम्मेलन में फिक्की की ओर से सुब्रतो गीड, सह-अध्यक्ष, फिक्की ज्योति विज आदि ने मक्का को औद्योगिक, पोषणीय एवं सतत कृषि की रीढ़ बताते हुए अनुसंधान, उद्योग, और नीति-निर्माताओं के बीच समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और इसे भारत की जैव-अर्थव्यवस्था में केंद्रीय भूमिका दिलाने की अपील की.

Published: 7 Jul, 2025 | 12:59 PM