धान की फसल में फैली गंभीर बीमारी, रूक गया है पौधों का विकास.. पत्तियां पड़ रही हैं पीली

धान की फसल में स्पाइनारियोविरिडे वायरस के कारण पत्तियां पीली और पौधे बौने हो रहे हैं. यह रोग कीटों से फैलता है. समय पर पहचान और जैविक उपायों से फसल को बचाया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 16 Aug, 2025 | 08:16 PM

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के किसानों के लिए इस बार खरीफ धान की फसल किसी चुनौती से कम नहीं है. रोपाई करने के करीब  एक महीने बाद फसल में नई बीमारी लग गई है. इससे धान की पत्तिययां पीली पड़ रही हैं और पोधों का विकास रूक गया है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. असल में यह समस्या एक खतरनाक वायरस के कारण हो रही है, जिसका नाम है स्पाइनारियोविरिडे. यह वायरस पौधे की बढ़त रोक देता है, जिससे पैदावार पर सीधा असर पड़ता है. खेत हरे नजर आते हैं, लेकिन पौधों की जड़ें काली हो जाती हैं और ग्रोथ बिल्कुल नहीं होती.

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस कीटों के माध्यम से फैलता है और रोपाई के शुरूआती दिनों में ही फसल को चपेट में ले लेता है. यदि समय रहते इसकी पहचान और रोकथाम न की जाए तो पूरी फसल खराब हो सकती है.

क्या है स्पाइनारियोविरिडे वायरस और कैसे फैलता है?

दरअसल, यह एक वायरस जनित रोग है, जो मुख्य रूप से प्लांट हॉपर कीटों के माध्यम से फैलता है. खासकर व्हाइट बैक हॉपर, ग्रीन प्लांट हॉपर और ब्राउन प्लांट हॉपर इसके प्रमुख वाहक होते हैं. ये कीट धान के पौधे पर बैठते हैं और रस चूसते हैं. इससे वायरस भी पौधों में प्रवेश कर जाता है. इसके कारण पौधे की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और ग्रोथ रुक जाती है. साथ ही पौधा बौना हो जाता है. यह वायरस अधिकतर उस समय असर करता है, जब धान की रोपाई के कुछ ही दिन हुए होते हैं. शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है, ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके.

लक्षण क्या हैं, कैसे पहचानें?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि रोपाई के कुछ दिनों बाद ही धान की पत्तियां पीली पड़ने लगें, पौधे की लंबाई न बढ़े और जड़ों में काला पन दिखे, तो यह वायरस हो सकता है. अक्सर खेत की हरियाली देखकर किसान भ्रमित हो जाते हैं, लेकिन असल में अंदर से पौधा कमजोर और बौना हो चुका होता है.

मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं-

  • पत्तियों का पीला पड़ना
  • पौधे की ग्रोथ रुक जाना
  • पौधा अधिक हरा दिखना लेकिन कमजोर रहना
  • जड़ों में कालेपन का आना
  • बचाव और समाधान के तरीके
  • इस वायरस से फसल को बचाने के लिए किसानों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए.

कीट नियंत्रण करें-

व्हाइट बैक प्लांट हापर, ग्रीन और ब्राउन हापर कीटों पर नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर उपयुक्त कीटनाशकों का छिड़काव करें.

जैविक उर्वरकों का करें प्रयोग-

रासायनिक खादों की जगह जैविक उर्वरकों (जैसे गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट) का प्रयोग करें, जिससे मिट्टी की सेहत भी बनी रहे.

सीधी बुवाई करें-

पारंपरिक रोपाई की जगह सीधे बीज बोने की विधि अपनाने से भी वायरस का असर कम होता है.

समय पर पहचान जरूरी-

जैसे ही शुरुआती लक्षण दिखें, तुरंत नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और विशेषज्ञ से सलाह लें.

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