बीते कुछ सालों से लगातार बदलते मौसम ने किसानों को पहले ही मुश्किल में डाला हुआ है. अब एक और खबर सामने आई है जो चिंता बढ़ा सकती है, दरअसल, मई महीने में भारत का उर्वरक आयात 44 फीसदी तक घट गया है. इसका मतलब यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ने के कारण कंपनियों ने उर्वरक की खरीद में कटौती की है. हालांकि सरकार का दावा है कि जून में स्थिति सुधर सकती है, लेकिन जमीन पर इससे जुड़ी चिंताएं भी बढ़ रही हैं.
महंगी कीमतों के कारण कम हुआ आयात
इस साल मई में डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की औसत कीमत 724 डॉलर से बढ़कर 781 डॉलर प्रति टन हो गई, जबकि एमओपी (म्यूरिएट ऑफ पोटाश) 282 डॉलर से बढ़कर 349 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया. यही कारण है कि कंपनियों ने मई में बड़ी मात्रा में उर्वरक नहीं खरीदा.
जून में आयात बढ़ाने की कोशिश
सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वे अभी घाटा सहकर उर्वरक आयात करें और रबी सीजन के लिए मिलने वाली सब्सिडी के जरिए इस घाटे को समायोजित कर लें. ऐसे में जून में आयात बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. मगर कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि अगर इजराइल-ईरान युद्ध और बिगड़ा तो माल की खेप आने में देरी और कीमतों में और उछाल हो सकता है.
डीएपी की उपलब्धता बनी चिंता का कारण
सरकार का कहना है कि जून की शुरुआत में सभी प्रमुख उर्वरकों का कुल स्टॉक 136.69 लाख टन था, जबकि अनुमानित मांग 59.42 लाख टन थी. लेकिन डीएपी की स्थिति अलग है.
31 मई तक डीएपी का स्टॉक सिर्फ 12.43 लाख टन था, जबकि उसी महीने की मांग 10.62 लाख टन रही. वहीं, घरेलू उत्पादन भी 15 फीसदी से अधिक गिरा है, जिससे आगामी सीजन में उपलब्धता प्रभावित हो सकती है.
मई में कितना घटा आयात?
पिछले साल मई में जहां कुल उर्वरक आयात 14.36 लाख टन था, वहीं इस साल यह घटकर 8.07 लाख टन रह गया-
- यूरिया: 2.91 लाख टन (15.4 फीसदी की गिरावट)
- डीएपी: 2.36 लाख टन (58.3 फीसदी की गिरावट)
- एमओपी: 0.33 लाख टन (83.7 फीसदी की भारी गिरावट)
- कॉम्प्लेक्स: 2.47 लाख टन (23.5 फीसदी की गिरावट)
कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ीं
देश में डीएपी बनाने के लिए जो कच्चा माल विदेशों से मंगाया जाता है, उसकी कीमतों में भी तेजी आई है. मई 2025 में फॉस्फोरिक एसिड की कीमत बढ़कर 1,055 डॉलर प्रति टन हो गई, जबकि पिछले साल यह 948 डॉलर थी. यानी इसमें करीब 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, रॉक फॉस्फेट की कीमत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ और यह लगभग 173 डॉलर प्रति टन पर स्थिर रही, जो कि पिछले साल 175 डॉलर थी.
सरकार की सब्सिडी नीति और किसानों को राहत
सरकार ने इस खरीफ सीजन के लिए उर्वरक सब्सिडी के रूप में 37,216 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है-
- नाइट्रोजन (N): 43.02 रुपये प्रति किलो
- फॉस्फोरस (P): 43.60 रुपये प्रति किलो
- पोटाश (K): 2.38 रुपये प्रति किलो
- सल्फर (S): 2.61 रुपये प्रति किलो
फॉस्फोरस में 12.80 रुपये प्रति किलो और सल्फर में 0.85 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. पहली दो महीनों में ही सरकार की उर्वरक सब्सिडी खर्च 23,356 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है.
वहीं मौजूदा हालात में किसानों को यह सलाह दी जा रही है कि वे उर्वरक की खरीद में जल्दबाजी न करें, बल्कि स्थानीय डीलरों और सहकारी समितियों से समय-समय पर स्टॉक की जानकारी लेते रहें. साथ ही जैविक और वैकल्पिक उर्वरकों की ओर भी ध्यान दें, क्योंकि हालात कब बदल जाएं, कहना मुश्किल है.