Punjab News: पंजाब में लगभग एक दशक में सबसे कम धान की पैदावार दर्ज हुई है, बावजूद इसके कि राज्य ने 2025- 26 खरीफ सीजन के लिए संशोधित खरीद लक्ष्य को पार कर लिया है. कृषि विभाग के अनुसार, इस साल औसत पैदावार 5,669 किलो प्रति हेक्टेयर रही और अब तक 84 प्रतिशत नमूनों का विश्लेषण किया जा चुका है. अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे और नमूने जांचे जा रहे हैं, पैदावार की संख्या लगातार घट रही है. ऐसे में कम पैदावार, बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों और रिकॉर्ड खरीद के इस विरोधाभास ने सरकार और कृषि समुदाय में चिंता बढ़ा दी है. सरकार को डर है कि पड़ोसी राज्यों से बड़ी मात्रा में धान पंजाब की मंडियों में लाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर स्थानीय धान के नाम पर बेचा जा सकता है.
पंजाब में कुल 32.49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हुई थी, जिसमें 6.83 लाख हेक्टेयर बासमती है. खास बात यह है कि पंजाब में बासमती को सरकारी एजेंसियां नहीं खरीदती हैं. इसका मतलब है कि गैर-बासमती धान का क्षेत्र लगभग 25.66 लाख हेक्टेयर है. हालांकि, लगभग 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र अगस्त- सितंबर में लगातार बारिश और बाढ़ के दौरान नष्ट हो गया. अगर इस नुकसान वाले क्षेत्र को हटाया जाए, तो पंजाब में इस साल प्रभावी रूप से करीब 23.63 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई.
धान की पैदावार में गिरावट
अभी चल रहे फसल-कटिंग प्रयोग (CCE) के आधार पर औसत पैदावार 5,669 किलो प्रति हेक्टेयर मानते हुए, राज्य की अनुमानित खरीद लगभग 135 लाख टन होनी चाहिए थी. फिर भी, पंजाब ने 18 नवंबर तक लगभग 157 लाख टन धान खरीद लिया गया, जो कि CCE के अनुमान से 22 लाख टन ज्यादा है. हालांकि अब धान की आवक कम हो गई है, फिर भी राज्य के कुछ हिस्सों से छोटे पैमाने पर आने की खबरें मिल रही हैं. CCE से अलग-अलग फसल किस्मों की उत्पादकता का आंकलन किया जाता है.
185 लाख टन धान खरीदी का टारगेट
पंजाब ने शुरू में 185 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा था. लेकिन बाढ़, फाल्स स्मट, बौना रोग और अन्य नुकसान के बाद सरकार ने लक्ष्य को घटाकर 150 लाख टन कर दिया. कम पैदावार और घटाए गए लक्ष्य के बावजूद पंजाब ने पहले ही करीब 157 लाख टन धान खरीद लिया है, जिससे अतिरिक्त धान के स्रोत को लेकर चिंता बढ़ गई है. इससे पहले सबसे कम पैदावार 2015- 16 में 5,933 किलो प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई थी.
क्या कहते हैं मंडी बोर्ड के अधिकारी
एक वरिष्ठ मंडी बोर्ड अधिकारी ने कहा कि पिछले साल के आंकड़ों में फसल-कटिंग प्रयोग (CCE) के अनुमान और वास्तविक खरीद में काफी सामंजस्य था. 2024 में धान का क्षेत्र 32.43 लाख हेक्टेयर था, जिसमें 6.80 लाख हेक्टेयर बासमती और 25.63 लाख हेक्टेयर गैर-बासमती धान शामिल था. 2023 के CCE में औसत पैदावार 6,670 किलो प्रति हेक्टेयर रही थी और 2024 के लिए अनुमानित उत्पादन 171 लाख टन था, जबकि 2023 में वास्तविक खरीद 174 लाख टन हुई थी. इस करीब-सटीक मिलान ने CCE आधारित गणनाओं की विश्वसनीयता को मजबूत किया था. इस साल हालांकि, अंतर असामान्य रूप से बड़ा है. खरीद अनुमानित उत्पादन से लगभग 20 लाख टन अधिक हो गई है.