Intercropping Farming : खेती में अक्सर कहा जाता है कि अगर स्मार्ट तरीके से फसलें उगाई जाएं, तो कम जमीन में भी दोगुना फायदा मिल सकता है. इसी सोच के साथ किसान सहफसली यानी इंटरक्रॉपिंग करते हैं. लेकिन हर फसल हर मुख्य फसल के साथ ठीक नहीं बैठती. खासकर गन्ने के खेत में अगर किसान गलती से आलू जैसी कंद वाली फसल लगा दें, तो इससे फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह लापरवाही कई बार किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फेर देती है.
गन्ने की ट्रेंच विधि में सहफसली का चलन बढ़ा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती (Sugarcane Farming) करने वाले किसान अक्सर दो लाइनों के बीच खाली जगह का उपयोग करते हैं. यह जगह काफी होती है, इसलिए किसान सोचते हैं कि यहां दूसरी फसल उगाकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है. सहफसली से तेजी से बढ़ने वाली फसलों को उगाकर किसान प्रति एकड़ ज्यादा लाभ ले लेते हैं. लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, फसल का गलत चुनाव गन्ने की ग्रोथ पर विपरीत असर डाल सकता है.
आलू गन्ने के लिए क्यों बन जाता है नुकसान का कारण?
आलू कंद वाली फसल है, जिसे तैयार होने के दौरान मिट्टी से बड़ी मात्रा में पोटाश और फास्फोरस की जरूरत होती है. यह पोषक तत्व गन्ने की ग्रोथ के लिए भी बेहद जरूरी हैं. जब दोनों फसलें एक ही खेत में होती हैं, तो आलू तेजी से मिट्टी के पोषक तत्व खींच लेता है. परिणाम ये होता है कि गन्ने को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता और उसकी वृद्धि धीमी हो जाती है. इससे गन्ने की लंबाई व मोटाई प्रभावित होती है और उपज कम हो जाती है.
मिट्टी के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है गहरा असर
आलू की फसल कम समय में ज्यादा पोषक तत्व खींच लेती है, जिससे मिट्टी जल्दी थक जाती है. ऐसी स्थिति में मिट्टी की उर्वरता धीरे-धीरे कम होती जाती है. इसका असर आने वाली फसलों पर भी पड़ता है. बाद में किसानों को मिट्टी की शक्ति वापस लाने के लिए ज्यादा खाद, कम्पोस्ट और उर्वरक डालने पड़ते हैं, यानी खर्च बढ़ जाता है. इस वजह से आलू को गन्ने के साथ लगाना लंबे समय में घाटे का सौदा साबित होता है.
गन्ने के साथ कौन-सी फसलें देंगी फायदा?
अगर किसान सहफसली करना चाहते हैं, तो गन्ने के साथ ऐसी फसल लगानी चाहिए जिसे कम पोषण की जरूरत हो. दलहनी फसलें जैसे मूंग, उड़द, अरहर या फिर प्याज, लहसुन और पत्तेदार सब्जियां बेहतर विकल्प मानी जाती हैं. दलहन फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाकर उसकी उर्वरता भी सुधारती हैं. इससे गन्ना भी अच्छा बढ़ता है और किसान को दूसरी फसल से अतिरिक्त कमाई भी हो जाती है. गन्ना मेहनत और समय मांगने वाली फसल है. इसलिए सहफसली करते समय जरा सी सावधानी किसान की पूरी मेहनत का फल दोगुना कर सकती है, जबकि एक गलत फसल चुनाव नुकसान का कारण बन सकता है. सही जानकारी और सही फसल चयन से किसान अधिक लाभ उठा सकते हैं और खेत की मिट्टी को भी लंबे समय तक उपजाऊ रख सकते हैं.