भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत इस वक्त एक संवेदनशील मोड़ पर है. अमेरिका चाहता है कि भारत उसके सोया और मक्का को अपने बाजार में जगह दे, लेकिन भारत ने साफ कह दिया है “जीएम (Genetically Modified) अनाज नहीं चलेगा.” यह सिर्फ एक व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि देश के किसानों, उपभोक्ताओं और जैविक खाद्य सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है.
जीएम मक्का और सोया पर भारत का विरोध क्यों?
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अमेरिका के मक्का और सोया का 90 फीसदी हिस्सा जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम तकनीक से उपजा होता है. जबकि भारत की नीति साफ है कि देश में ऐसे अनाजों का आयात प्रतिबंधित है. सिर्फ प्रमाणित गैर-जीएम उत्पाद ही भारत में आ सकते हैं. और जब अमेरिकी कंपनियां खुद यह गारंटी नहीं दे सकतीं कि उनका मक्का या सोया पूरी तरह गैर-जीएम है, तब भारत के लिए दरवाजा खोलना नामुमकिन है.
‘मूल्यों’ पर अडिग भारत
एक्सपर्ट्स के अनुसार, “यह सिर्फ व्यापार नहीं, सिद्धांत का मामला है. भारत अपने किसानों और जैविक खेती की रक्षा के लिए जीएम आयात की इजाजत नहीं दे सकता.” भारत की इस स्थिति को अब अमेरिका भी जानता है, लेकिन फिर भी वह दबाव बना रहा है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) में इसे शामिल किया जाए.
अमेरिका का बाजार संकट और भारत पर निगाहें
दुनिया में सबसे ज्यादा मक्का निर्यात करने वाला देश अमेरिका है और सोया खल (Soyameal) का भी दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक वही है. चीन और मेक्सिको इसके बड़े ग्राहक रहे हैं, लेकिन हाल के टैरिफ झगड़ों के चलते अमेरिका अब भारत जैसे नए बाजार की तलाश में है.
व्यापार समझौता लटका, टैरिफ संकट बरकरार
भारत और अमेरिका 1 अगस्त से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौता करने की कोशिश में थे ताकि दोनों देशों के बीच संभावित 26 फीसदी टैरिफ से बचा जा सके. लेकिन अब यह डील समय पर होना मुश्किल लग रहा है. अगर समझौता नहीं होता, तो भारत के कई उत्पादों पर अमेरिका की तरफ से भारी शुल्क लग सकता है.
जीएम आयात पर भारत की नीति क्या है?
भारत में 2021 से ही नियम बेहद सख्त हो चुके हैं. कोई भी अनाज, दाल, तेल, फल या पशु आहार जो जीएम तकनीक से बना हो, भारत में नहीं आ सकता. 20 से ज्यादा उत्पाद कैटेगरी के लिए “नॉन-जीएमओ सर्टिफिकेट” जरूरी है और वो भी केवल 1 फीसदी तक की गलती की छूट के साथ.
भारतीय कृषि को नुकसान का डर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर भारत जीएम अनाज मंगाने लगता है, तो इससे स्थानीय फसलों में मिलावट का खतरा पैदा होगा. ऐसे में जब भारत अपने फल, सब्जी या अनाज को यूरोप या खाड़ी देशों में भेजेगा, वहां वो जीएम अंश के चलते रिजेक्ट हो सकते हैं. इसका सीधा नुकसान किसानों और देश के निर्यात क्षेत्र को होगा.
किसानों और जैविक खेती की जीत
भारत में पिछले कुछ वर्षों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. देश के लाखों छोटे और मंझोले किसान जीएम फसलों से दूर रहकर सुरक्षित खेती कर रहे हैं. अगर जीएम आयात की अनुमति मिलती है, तो उनकी आजीविका और उपज दोनों संकट में पड़ सकती हैं.