भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार समझौते को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. अमेरिका एक तरफ जहां डेयरी सेक्टर को ट्रेड समझौते से बाहर रखने के लिए तैयार नजर आ रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह अमेरिका से जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) सोयाबीन और मक्का (कॉर्न) के आयात को मंजूरी दे.
भारत के सामने चुनौती क्यों?
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारतीय कानून फिलहाल GM फसलों के आयात की अनुमति नहीं देते. अमेरिका में अधिकांश सोया और मक्का जीएम होते हैं, ऐसे में भारत के लिए इन फसलों के आयात को कानूनी और सुरक्षित रूप से अनुमति देना मुश्किल हो गया है. भारत कुछ फलों, सब्जियों और ड्राई फ्रूट्स पर रियायत देने को तैयार है, लेकिन जीएम अनाज को लेकर किसान संगठनों और वैज्ञानिकों की आपत्तियां बढ़ गई हैं.
अमेरिका बना रहा दबाव
दरअसल, अमेरिका को चीन में अपने कृषि उत्पादों के घटते निर्यात पर चिंता है. चीन अमेरिकी सोया निर्यात का 55 फीसदी और मक्का का 26 फीसदी खरीदता है. अब अमेरिका भारत को नया बाजार बनाना चाहता है.
किसान संगठन क्या कह रहे हैं?
आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ (BKS) और अन्य किसान संगठन खुले तौर पर इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि जीएम फसलों से मिट्टी, बीज, बाजार और सेहत सभी को खतरा है. BKS ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को ज्ञापन सौंपकर कहा कि जीएम मक्का की ट्रायल की अनुमति रद्द की जाए. संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा – “हमें जैविक खेती चाहिए, जीएम नहीं. बीटी कॉटन का अनुभव हमें पहले ही सिखा चुका है कि यह प्रयोग असफल रहा.”
व्यापार के आंकड़ों
2024-25 में भारत का अमेरिका को कृषि निर्या 6.25 अरब डॉलर रहा, जबकि अमेरिका का भारत को कृषि निर्यात महज 373 मिलियन डॉलर था. अमेरिका अब इस अंतर को घटाना चाहता है.
वहीं अब भारत सितंबर-अक्टूबर तक समझौते की पहली किस्त को अंतिम रूप देना चाहता है. लेकिन अगर जीएम फसलों पर सहमति नहीं बनती, तो यह व्यापार समझौता टल सकता है या अधूरा रह सकता है.