पंजाब में शुरू होगा जीएम मक्का का फील्ड ट्रायल, विरोध के बावजूद सरकार अडिग

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि पंजाब पहले से ही पर्यावरणीय स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, खेती में बढ़ते रसायनों के इस्तेमाल से जमीन की सेहत, पानी की गुणवत्ता और किसानों की सेहत पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में और अधिक के

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नई दिल्ली | Updated On: 18 Jul, 2025 | 10:13 AM

पंजाब की धरती पर एक नया कृषि प्रयोग होने जा रहा है लेकिन यह प्रयोग जितना वैज्ञानिक दृष्टि से अहम है, उतना ही विवादास्पद भी. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) इस खरीफ सीजन में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) मक्का का फील्ड ट्रायल कर रहा है. हालांकि यह कदम कुछ वैज्ञानिकों और सरकार के लिए भविष्य की तैयारी है, लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य की चिंता कर रहे कार्यकर्ता इसे गंभीर खतरा मान रहे हैं.

पानी की बचत या जमीन की सेहत पर खतरा?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, राज्य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने पुष्टि की कि PAU विभिन्न फसलों पर रिसर्च करता रहता है और मक्का एक बेहतर विकल्प हो सकता है, खासकर वहां जहां पानी की भारी कमी है. उन्होंने कहा कि कपास की तुलना में मक्का कम पानी मांगता है, इसलिए इसके लिए उन्नत किस्मों की जरूरत है. GM मक्का ऐसे इलाकों में किसानों की मदद कर सकता है. लेकिन वहीं दूसरी ओर, “कोएलिशन फॉर ए GM-फ्री इंडिया” जैसे संगठनों का कहना है कि यह प्रयोग एक बड़े खतरे का संकेत है.

ग्लाइफोसेट पर रोक फिर भी ट्रायल?

सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब पंजाब सरकार ने पहले ही हानिकारक खरपतवारनाशक रसायन ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगाया है, तो फिर PAU को ऐसे GM मक्का का ट्रायल करने की अनुमति कैसे मिली जो ग्लाइफोसेट-प्रतिरोधी है? कार्यकर्ता कविता कुरुगंटी ने इस विरोधाभास को उजागर किया है. उनका कहना है कि ऐसे ट्रायल न केवल राज्य के आदेशों का उल्लंघन हैं, बल्कि देश की कीटनाशक नियामक व्यवस्था के खिलाफ भी हैं.

साथ में यह भी आरोप लगाया है कि PAU का ट्रायल रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है. पहले हुए HT सरसों के ट्रायल में नियमों की अनदेखी की गई थी, और उस वक्त भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. अब GM मक्का का ट्रायल फिर से वैसी ही चिंता को जन्म दे रहा है.

रसायनों का बढ़ता खतरा

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि पंजाब पहले से ही पर्यावरणीय स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, खेती में बढ़ते रसायनों के इस्तेमाल से जमीन की सेहत, पानी की गुणवत्ता और किसानों की सेहत पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में और अधिक केमिकल आधारित फसलें राज्य को और भी संकट में डाल सकती हैं.

सिर्फ पंजाब ने ही दी सहमति

GEAC (जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी) ने जब 11 राज्यों से GM मक्का ट्रायल के लिए संपर्क किया, तो केवल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (लुधियाना) ने सहमति दी. यह दर्शाता है कि अन्य राज्यों ने इससे दूरी बनाई, जबकि पंजाब ने रिसर्च के नाम पर आगे बढ़ने का फैसला किया.

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Published: 18 Jul, 2025 | 10:07 AM

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