PAU में शुरू हो सकता है GM मक्के का फील्ड ट्रायल, घास नाशक के ऊपर होगा शोध

इन ट्रायल्स का उद्देश्य यह देखना है कि घास नाशक Glyphosate-K salt के उपयोग से खरपतवार नियंत्रण कितना प्रभावी होता है. साथ ही कीट प्रतिरोधी मक्का कितनी अच्छी तरह से लेपिडोप्टेरन कीटों से फसल को बचा पाता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 15 Jul, 2025 | 08:20 PM

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) में इस चालू खरीफ सीजन के दौरान 2 प्रकार के जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) मक्के के फील्ड ट्रायल्स शुरू होने की उम्मीद है. हाल ही में भारत की शीर्ष नियामक संस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) ने इन ट्रायल्स को मंजूरी दी है, जिसके बाद पंजाब सरकार से भी सहमति मिल गई. जून में हुई GEAC की बैठक में बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी, जिसमें घास नाशक (हर्बीसाइड) सहन करने वाले और कीट प्रतिरोधी मक्के की सीमित क्षेत्र में फील्ड ट्रायल की अनुमति मांगी गई थी. ये ट्रायल लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में होंगे.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, इन ट्रायल्स का उद्देश्य यह देखना है कि घास नाशक Glyphosate-K salt के उपयोग से खरपतवार नियंत्रण कितना प्रभावी होता है और कीट प्रतिरोधी मक्का कितनी अच्छी तरह से लेपिडोप्टेरन कीटों से फसल को बचा पाता है. हालांकि, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस कदम पर चिंता जताई है और संभावित खतरे को लेकर चेतावनी दी है. PAU के वाइस चांसलर सतबीर सिंह गोसल ने कहा कि मक्का की बुवाई का यही सही समय है, इसलिए फील्ड ट्रायल्स जल्द ही शुरू होंगे.

अध्ययन में आएगी इस तरह की जानकारी

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के वाइस चांसलर सतबीर सिंह गोसल ने स्पष्ट किया है कि GM मक्का को कमर्शियल स्तर पर लागू करने के फैसले में यूनिवर्सिटी की कोई भूमिका नहीं है. उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी का काम सिर्फ रिसर्च करना है और इसी के तहत ये फील्ड ट्रायल्स किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास रिसर्च के लिए जरूरी सुविधाएं, एक्सपर्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, इसलिए हम ट्रायल्स कर रहे हैं. जब तक हम खुद अध्ययन नहीं करेंगे, हमें यह नहीं पता चलेगा कि GM मक्का फायदेमंद है या नुकसानदायक.

GM मक्का पर ट्रायल की मंजूरी देना गलत

उन्होंने कहा कि यह ट्रायल सिर्फ रिसर्च के मकसद से हो रहा है. इसका व्यावसायिक इस्तेमाल करने या न करने का फैसला केंद्र सरकार का होगा. हम बायोटेक्नोलॉजी विभाग और भारत सरकार की गाइडलाइंस के तहत ट्रायल करेंगे. वहीं दूसरी ओर, जीएम-मुक्त भारत के लिए गठबंधन नाम की संस्था, जो सुरक्षित और टिकाऊ खेती की पक्षधर है, ने पंजाब सरकार से अपील की है कि वो इस ट्रायल के लिए दी गई नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) वापस ले. इस गठबंधन की सह संयोजक कविता कुरुगंटी ने पंजाब के कृषि मंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा कि पंजाब सरकार पहले ही ग्लाइफोसेट जैसे हानिकारक हर्बीसाइड पर बैन लगा चुकी है. वैज्ञानिक रिपोर्टों में ग्लाइफोसेट को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया गया है, ऐसे में GM मक्का पर ट्रायल की मंजूरी देना गलत कदम है.

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Published: 15 Jul, 2025 | 08:18 PM

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