राजाओं की पहली पसंद, देखने में जितना खूबसूरत खाने में उससे भी ज्यादा लजीज.. नाम है ‘सुंदरजा आम’

अगर सुंदरजा आम की खासियत के बारे में बात करें तो इसे मधुमेह रोगियों के लिए सुरक्षित माना गया है. यानी इसे मधुमेह के रोगी भी खा सकते हैं. इस आम की मिठास हल्की और संतुलित होती है.

नोएडा | Updated On: 15 Jul, 2025 | 07:36 PM

Sundaraja Mango: जब भी आम की बात होती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले लंगड़ा, दशहरी, जर्दालु, तोतापुरी और सफेदा का नाम उभरकर सामने आता है. क्योंकि लोगों को लगता है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र ही ऐसे राज्य हैं, जहां बेहतरीन क्वालिटी और स्वाद के आम उगाए जाते हैं. लेकिन ऐसी बात नहीं है. देश के सभी राज्यों में खास किस्म के आम उगाए जाते हैं. इन सभी आमों का स्वाद और खुशबू भी अलग है. लेकिन आज हम एक ऐसे आम की किस्म के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे जीआई टैग मिला हुआ है.

दरअसल, हम जिस आम की किस्म के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसका नाम ‘सुंदरजा आम’ है. इसकी खेती केवल मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गोविंदगढ़ में होती है. यह आम अपने स्वाद और खुशबू के लिए भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. इसकी सप्लाई भारत के साथ-साथ विदेशों में तक में होती है. कहा जाता है कि गोविंदगढ़ के किले में 1885 में उस समय के महाराजा रघुराज सिंह ने इस खास आम की किस्म को विकसित किया था. इस आम में शुगर कम होती है, इसलिए इसे शुगर फ्री आम भी कहा जाता है. साथ ही रेशे बिल्कुल नहीं होते हैं. इसका रंग सुनहरा होता है और देखने में भी बहुत खूबसूरत लगता है. इसी वजह से इसे ‘सुंदरजा’ नाम दिया गया .

1968 में सुंदरजा आम के नाम पर डाक टिकट जारी

अगर सुंदरजा आम की खासियत के बारे में बात करें तो इसे मधुमेह रोगियों के लिए सुरक्षित माना गया है. यानी इसे मधुमेह के रोगी भी खा सकते हैं. इस आम की मिठास हल्की और संतुलित होती है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1968 में सुंदरजा आम के नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया था. जबिक, 1970 में दिल्ली के अंदर इसे प्रथम पुरस्कार मिला था. यह आम लंबे समय तक खराब नहीं होता और अच्छी तरह सुरक्षित रहता है. साथ ही साल 2023 में इसे जीआई टैग भी दिया गया.

महाराजा रघुराज सिंह ने ईजाद की आम की किस्म

रीवा शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर गोविंदगढ़ स्थित है. यहीं पर करीब 140 साल पहले रीवा के महाराजा रघुराज सिंह ने सुंदरजा आम की खोज की थी. इस आम की कई खास बातें हैं. सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसे खाने के बाद इसकी खुशबू काफी देर तक हाथों में रहती है. हालांकि, सुंदरजा आम में रेशे नहीं होते हैं. आप इसे आइसक्रीम की तरह चम्मच से भी खा सकते हैं. इन्हीं खूबियों के चलते सुंदरजा आम को आज दुनियाभर में अलग पहचान मिली है.

सुंदरजा आम की खासियत

सुंदरजा आम का पेड़ लंबे समय तक फल देता है. इसकी ऊंचाई करीब 5.36 मीटर, चौड़ाई 7.48 मीटर और कैनोपी यानी फैलाव 4.88 मीटर तक होता है. एक आम का औसत वजन करीब 350 ग्राम होता है, जिसकी लंबाई लगभग 12.2 इंच और चौड़ाई 7.93 इंच होती है. पकने के बाद इसका रंग सुनहरा हो जाता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है. इसमें गूदा (पल्प) 75.52 फीसदी, छिलका 14.03 फीसदी, गुठली 12.37 फसदी होती है. इसमें एसिडिटी 0.29 फीसदी और शुगर लेवल (TSS) 22.23 फीसदी पाया गया है. इस आम की शेल्फ लाइफ भी ज्यादा है. इसे 10 से 12 दिन तक बिना खराब हुए रखा जा सकता है.

क्या होता है जीआई टैग

‘सुंदरजा आम’ को साल 2023 में भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा दिया गया है. ऐसे जीआई टैग का पूरा नाम Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत है. यह एक तरह का प्रमाणपत्र होता है जो यह बताता है कि कोई उत्पाद किसी खास क्षेत्र या भौगोलिक स्थान से जुड़ा हुआ है और उसकी विशिष्ट गुणवत्ता, पहचान या प्रतिष्ठा उस क्षेत्र की वजह से है.

सुंदरजा आम से जुड़े कुछ फैक्ट्स

  • सुंदरजा आम को साल 2023 में मिला जीआई टैग
  • मध्य प्रदेश के गोविंदगढ़ में हैं इसके बााग
  • 140 साल पहले रीवा के महाराजा रघुराज सिंह ने की इस किस्म की खोज
  • 1968 में सुंदरजा आम के नाम पर डाक टिकट भी जारी
  • 1970 के दौरान दिल्ली में इसे प्रथम पुरस्कार मिला
  • इसकी ऊंचाई करीब 5.36 मीटर, चौड़ाई 7.48 मीटर और कैनोपी यानी फैलाव 4.88 मीटर
  • इसमें गूदा (पल्प) 75.52 फीसदी, छिलका 14.03 फीसदी, गुठली 12.37 फसदी होती है.

 

Published: 15 Jul, 2025 | 06:43 PM