अमेरिका के साथ डील हुई तो डेयरी किसान होंगे प्रभावित, सालाना 1 लाख करोड़ नुकसान का अनुमान

US India Deal: एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दूध की कीमतों में 15 फीसदी की गिरावट आती है, तो इसका सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ेगा और डेयरी सेक्टर का आर्थिक योगदान भी घटेगा.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 15 Jul, 2025 | 10:28 PM

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत ने अमेरिका से डेयरी प्रोडक्ट का आयात शुरू किया, तो देश के दूध उत्पादक किसानों को हर साल 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की डेयरी इंडस्ट्री को भारी सब्सिडी मिलती है, जिससे भारतीय छोटे किसानों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर विदेशी डेयरी प्रोडक्ट्स भारत में आने लगे, तो दूध के दाम में कम से कम 15 फीसदी की गिरावट आ सकती है. इससे न केवल किसानों की कमाई घटेगी, बल्कि 250 लाख टन तक दूध का आयात भी बढ़ सकता है.

smefutures की वेबसाइट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, भारत की डेयरी इंडस्ट्री फिलहाल देश के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 2.5 से 3 फीसदी का योगदान देती है, जिसकी कुल वैल्यू 7.5 से 9 लाख करोड़ रुपये है. यह क्षेत्र करीब 8 करोड़ लोगों को सीधी रोजगार भी देता है. यानी हर 1 लाख के GVA पर एक व्यक्ति को रोजगार मिलता है. वहीं, भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार बातचीत में डेयरी और कृषि प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं. SBI की रिपोर्ट बताती है कि यदि सावधानी नहीं बरती गई, तो भारत के करोड़ों किसानों की कमर टूट सकती है.

सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ेगा

SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दूध की कीमतों में 15 फीसदी की गिरावट आती है, तो इसका सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ेगा और डेयरी सेक्टर का आर्थिक योगदान भी घटेगा. जब चारे, ईंधन, परिवहन और परिवार की मुफ्त मजदूरी जैसे खर्चों को घटाकर देखा गया, तो कुल GVA (सकल मूल्य वर्धन) में 0.51 लाख करोड़ रुपये की गिरावट का अनुमान लगाया गया. हालांकि रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध बेहतर होते हैं, तो कृषि निर्यात के क्षेत्र में नए अवसर बन सकते हैं.

डेयरी सेक्टर को ज्यादा खतरा

फिलहाल भारत अमेरिका को हर साल 1 अरब अमेरिकी डॉलर से भी कम का ऑर्गेनिक फूड और मसाले जैसे हाई-वैल्यू एग्री प्रोडक्ट्स भेजता है. लेकिन अगर SPS (स्वास्थ्य और गुणवत्ता से जुड़े प्रतिबंध) हटते हैं और मांग बढ़ती है, तो यह आंकड़ा 3 अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा हो सकता है. आम, लीची, केला और भिंडी जैसे फल और सब्जियां अमेरिका को निर्यात करने के लिए अच्छे विकल्प माने जा रहे हैं. यानी जहां एक ओर डेयरी सेक्टर को खतरा है, वहीं दूसरी ओर निर्यात में वृद्धि का मौका भी मौजूद है.

2 अरब डॉलर तक का अतिरिक्त निर्यात

SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापार बाधाएं हटाई जाती हैं. खासकर आयुष उत्पादों और जेनेरिक दवाओं पर लगे गैर-शुल्क प्रतिबंध (Non-Tariff Barriers) हटते हैं, तो भारत 1 से 2 अरब डॉलर तक का अतिरिक्त निर्यात कर सकता है. इसके साथ ही कई अतिरिक्त फायदे भी हो सकते हैं. जैसे वीजा नियमों में ढील,अमेरिकी कंपनियों से कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर और सटीक खेती में निवेश, कृषि से जुड़ी चीजों जैसे पशु चारा, मशीनरी और दवाओं की लागत में कमी और आउटसोर्सिंग के नए मौके भी मिल सकते हैं.

लेकिन SBI ने साफ किया है कि इन तमाम रणनीतिक और आर्थिक फायदों के बावजूद, गांवों में करोड़ों किसानों और परिवारों की आजीविका पर मंडराते खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. व्यापार नीति बनाते समय इन जोखिमों को गंभीरता से समझना जरूरी है.

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Published: 15 Jul, 2025 | 07:28 PM

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