यूपी में सरकारी योजनाओं की जमीनी जांच, 108 खंडों में अधिकारी तैनात

तीन दिनों के दौरे में अधिकारी जिलों के कलेक्टर और मुख्य विकास अधिकारियों से भी मिलेंगे. वे विकास कार्यों की प्रगति का जायजा लेंगे और मुख्यमंत्री के फेलोशिप प्रोग्राम के तहत काम कर रहे युवा फेलोज की रिपोर्ट्स को भी ध्यान से देखेंगे.

नई दिल्ली | Published: 28 May, 2025 | 07:54 AM

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने 108 खास और पिछड़े विकास खंडों में चल रही सरकारी योजनाओं की जांच करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भेजने का फैसला किया है. ये अधिकारी 30 मई से 1 जून तक तीन दिन वहां रहकर यह देखेंगे कि योजनाएं जमीन पर सही ढंग से लागू हो रही हैं या नहीं और लोगों को उनका फायदा मिल रहा है या नहीं.

अधिकारियों का मकसद क्या है?

सरकार का उद्देश्य है यह सुनिश्चित करना कि जो योजनाएं बनी हैं, वे सीधे जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रही हैं और उनका असर साफ दिखाई दे रहा है. इसके लिए अधिकारी स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और ग्राम सचिवालयों का दौरा करेंगे. वे इन जगहों की सुविधाएं और वहां काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या भी जांचेंगे.

पहले होगा प्रशिक्षण

दौरे से पहले, 28 मई को लखनऊ के योजना भवन में अधिकारियों के लिए एक खास प्रशिक्षण रखा गया है. इस प्रशिक्षण में उन्हें यह सिखाया जाएगा कि कैसे योजनाओं की सही निगरानी करें, डिजिटल डैशबोर्ड का उपयोग करें, आंकड़ों को समझें और मुख्यमंत्री फेलोशिप प्रोग्राम के साथ बेहतर तालमेल बनाएं. इससे वे ज्यादा प्रभावी तरीके से अपनी रिपोर्ट तैयार कर सकेंगे.

दौरे के दौरान क्या होगा?

तीन दिनों के दौरे में अधिकारी जिलों के कलेक्टर और मुख्य विकास अधिकारियों से भी मिलेंगे. वे विकास कार्यों की प्रगति का जायजा लेंगे और मुख्यमंत्री के फेलोशिप प्रोग्राम के तहत काम कर रहे युवा फेलोज की रिपोर्ट्स को भी ध्यान से देखेंगे. इसके अलावा, स्वीकृत फंड के उपयोग और प्रस्तावित परियोजनाओं की भी बारीकी से समीक्षा करेंगे.

पिछड़े खंडों की पहचान और निगरानी

यह पहल मई 2022 में शुरू हुई थी, जब सरकार ने उन इलाकों की पहचान की जहां विकास के मानक कम थे. 42 जिलों के 108 ऐसे खंडों को चुना गया, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि और बुनियादी सुविधाओं में कमी थी. अब इन खंडों की निगरानी 50 मुख्य संकेतकों के आधार पर की जा रही है.

राष्ट्रीय स्तर पर भी मिली मान्यता

उत्तर प्रदेश के इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है. नीति आयोग ने जनवरी 2023 में पूरे देश के 500 ऐसे खंड चुने, जिनमें से 68 खंड उत्तर प्रदेश के हैं. नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग में इन खंडों का लगातार अच्छा प्रदर्शन इस योजना की सफलता को दिखाता है.