प्याज हमेशा से ऐसी फसल रही है, जिसने किसानों या उपभोक्ता का ध्यान खींचा है. कभी बहुत कम कीमत, जो किसानों को आहत करती है, तो कभी आसमान छूते दाम, जिसमें किसानों की जेब में तो ज्यादा कुछ नहीं जाता. लेकिन उपभोक्ता की जेब से जरूर धन निकल जाता है. देशभर में इन दिनों प्याज किसानों की आंखो से आंसू आ रहे हैं. दरअसल, अप्रैल से मई 2025 के बीच किसानों ने रबी सीजन की प्याज की फसल मंडियों में बेची, लेकिन उन्हें लागत के मुकाबले बेहद कम दाम मिले. अब गुजरात सरकार ने ऐसे किसानों को राहत देते हुए 124 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है.
क्या है मदद का पैकेज?
राज्य सरकार की इस योजना के तहत जो किसान 1 अप्रैल से 31 मई 2025 के बीच अपनी प्याज की फसल APMC यानी कृषि उपज मंडियों में बेच चुके हैं, उन्हें प्रत्येक क्विंटल पर 200 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. हालांकि यह मदद अधिकतम 250 क्विंटल या 50,000 रुपये प्रति किसान तक सीमित होगी. इससे करीब 90,000 किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है, जो लाल और सफेद दोनों किस्मों की प्याज की खेती करते हैं.
उत्पादन ज्यादा, दाम कम
सरकार ने बताया कि 2024-25 के रबी सीजन में प्याज की बुवाई औसतन ज्यादा हुई थी. लगभग 93,500 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई, जो पिछले साल के मुकाबले 74 फीसदी ज्यादा है. इसके चलते करीब 249 लाख क्विंटल प्याज का उत्पादन हुआ और बड़ी मात्रा में फसल बाजार में पहुंच गई. नतीजतन, कीमतें गिर गईं और किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पाए.
कैसे मिलेगा फायदा?
यह सहायता भारत सरकार की “बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)” के तहत मूल्य अंतर की भरपाई के रूप में दी जा रही है. किसान इस सहायता के लिए “i-khedut 2.0 पोर्टल” के जरिए आवेदन कर सकते हैं. पंजीकरण की शुरुआत 1 जुलाई से हो चुकी है और 15 जुलाई 2025 तक जारी रहेगी.
किसान संगठनों की मांग पर हुई कार्रवाई
यह फैसला किसान संगठनों और व्यक्तिगत किसानों द्वारा की गई कई शिकायतों के बाद लिया गया है. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई थी कि इस बार की प्याज की कीमतों से उन्हें भारी नुकसान हुआ है. सरकार ने किसानों की आवाज सुनी और समय रहते यह राहत दी है.