तिब्बत में जन्मा दुनिया का पहला क्लोन याक, जानिए पशुपालन में कैसे आ सकती है क्रांति

इस बछड़े को सीजेरियन डिलीवरी (C-सेक्शन) के जरिए जन्म दिया गया. इसे क्लोनिंग तकनीक द्वारा बनाया गया है, जिसमें किसी उच्च गुणवत्ता वाले याक से अनुवांशिक (genetic) जानकारी लेकर एक नया बछड़ा तैयार किया जाता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 15 Jul, 2025 | 09:05 AM

तिब्बत की बर्फीली घाटियों और कठिन जलवायु में रहने वाले लोगों के लिए याक सिर्फ एक पशु नहीं, जीवन का आधार है. इन्हीं याकों की नस्ल को और मजबूत, टिकाऊ और उत्पादक बनाने के लिए अब चीन ने एक बड़ा कदम उठाया है. हाल ही में चीन के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र शिजांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) में वैज्ञानिकों ने पहली बार क्लोन याक का सफलतापूर्वक जन्म कराया है. इस उपलब्धि को पशुपालन के क्षेत्र में एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है.

क्या है क्लोन याक का मामला?

ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार, चीन के डामशुंग काउंटी स्थित एक रिसर्च सेंटर में इस याक बछड़े का जन्म हुआ. करीब 33.5 किलोग्राम वजनी यह बछड़ा जन्म के कुछ ही समय बाद अपने पैरों पर खड़ा हो गया और चलने भी लगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह बछड़ा पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य रूप से विकसित हो रहा है.

इस बछड़े को सीजेरियन डिलीवरी (C-सेक्शन) के जरिए जन्म दिया गया. इसे क्लोनिंग तकनीक द्वारा बनाया गया है, जिसमें किसी उच्च गुणवत्ता वाले याक से अनुवांशिक (genetic) जानकारी लेकर एक नया बछड़ा तैयार किया जाता है. इसका मतलब है कि यह नया याक बछड़ा अपने “डोनर याक” के जैसे ही गुणों वाला होगा.

कौन हैं इस रिसर्च के पीछे?

यह प्रोजेक्ट 2023 में शुरू किया गया था. इसमें तीन प्रमुख संस्थाएं, झेजियांग यूनिवर्सिटी (Zhejiang University), डामशुंग काउंटी सरकार, इंस्टिट्यूट ऑफ प्लेटू बायोलॉजी (Institute of Plateau Biology)शामिल हैं, इन संस्थानों ने मिलकर उन याकों का चयन किया, जिनमें बेहतर दूध उत्पादन, बड़ी काया और बीमारियों से लड़ने की ताकत जैसे गुण पाए गए. इन्हीं चुने गए याकों से क्लोनिंग के जरिए यह नया बछड़ा तैयार किया गया.

तिब्बत में जरूरी है मजबूत याक नस्ल

तिब्बत और किंगहाई-शिजांग पठार जैसे क्षेत्रों में याक लोगों की जिंदगी में मुख्य भूमिका निभाते हैं. ये न केवल दूध, मांस और ऊन का स्रोत होते हैं, बल्कि इनका गोबर ईंधन के तौर पर और ये खुद यातायात और माल ढुलाई के लिए भी काम आते हैं.

इन इलाकों की सबसे बड़ी कठोर ठंड, ऑक्सीजन की कमी, जलवायु परिवर्तन से बिगड़ती परिस्थितियां चुनौती है. ऐसे में याकों की ऐसी नस्ल विकसित करना जरूरी हो गया है, जो इन हालातों में ज्यादा बेहतर ढंग से जिए, बीमारियों से कम प्रभावित हो और उत्पादन क्षमता भी बढ़ाए.

खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन में याक की भूमिका

याक सिर्फ आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होते हैं. ये घास के मैदानों में संतुलित चराई करते हैं, जिससे वहां की जैव विविधता बनी रहती है. लेकिन बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन और खेती के तरीकों में बदलाव से अब ये पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में आ रहा है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लोनिंग और चयनित प्रजनन (Selective Breeding) की मदद से ऐसी याक नस्ल तैयार की जा सकती है जो इन सभी चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपट सके.

इसका भविष्य

यह क्लोन याक सिर्फ एक प्रयोग नहीं है, बल्कि यह एक संभावना का द्वार है. अगर यह बछड़ा सफलतापूर्वक बड़ा होता है और उससे आगे और स्वस्थ याक पैदा होते हैं, तो तिब्बत जैसे क्षेत्रों में रहने वाले पशुपालकों की जिंदगी बदल सकती है.

आने वाले समय में-

  • दुग्ध उत्पादन बढ़ सकता है
  • मांस और ऊन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है
  • कम ऑक्सीजन और कठोर ठंड में जीने वाले याकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है
  • पारंपरिक जीवनशैली और आधुनिक विज्ञान का सुंदर संगम देखने को मिल सकता है

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Published: 15 Jul, 2025 | 09:00 AM

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