दूध उत्पादन के साथ गायों-भैंसों की नस्ल विकास की पहल, जानिए क्या है राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना

भारत सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देशी गायों और भैंसों की नस्लों को संरक्षित करना और उनका विकास करना है, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ सके और किसानों की आय में वृद्धि हो सके.

नोएडा | Updated On: 25 Jun, 2025 | 11:30 PM

भारत में दुग्ध उत्पादन और पशुपालन किसानों की आजीविका का एक बड़ा साधन है. लेकिन समय के साथ देसी गायों और भैंसों की नस्लों की संख्या में गिरावट देखी गई. इसी चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की. यह मिशन ‘डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का एक उप-योजना (Sub-Scheme) है जिसे 2021-22 से 2025-26 तक के लिए फिर से संशोधित किया गया है. इसका उद्देश्य देशभर में दूध उत्पादन बढ़ाना और देसी नस्लों की गुणवत्ता में सुधार करना हैं.

डेयरी फार्मिंग को सफल व्यवसाय बनाने का प्लान

राष्ट्रीय गोकुल मिशन को शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य देशी गायों और भैंसों की नस्लों को संरक्षित करना और उनका विकास करना. पशुधन गणना के अनुसार, देश में पशुओं की संख्या में गिरावट हो रही थी, जिसे रोकने और दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह योजना बनाई गई. इस योजना के तहत किसानों को डेयरी फार्मिंग को लाभकारी व्यवसाय बनाने में मदद दी जा रही है, ताकि बढ़ती दूध की मांग को पूरा किया जा सके.

सरकार ने इस योजना के लिए 2400 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. इसका सबसे बड़ा फायदा ग्रामीण और सीमांत किसानों को मिलेगा. खास बात यह है कि डेयरी सेक्टर में महिलाओं की 70 प्रतिशत भागीदारी को देखते हुए यह योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में भी मददगार साबित हो सकता हैं.

2014 में बदला गया योजना का नाम

पहले 2013 में इसे राष्ट्रीय पशु प्रजनन और दुग्ध विकास कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था, जिसे 2014 में ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के नाम से दुबारा शुरू किया गया है. फिर 2021 में इसे ‘राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना’ के तहत एक बड़ी छतरी योजना (Umbrella Scheme) के रूप में भी शामिल किया गया है.

महत्वपूर्ण पहल और सुविधाएं

  1. गोकुल ग्राम की स्थापना – देसी नस्लों के संरक्षण और प्रचार के लिए.
  2. सीमेन स्टेशन – गुणवत्तापूर्ण सीमेन का उत्पादन.
  3. IVF लैब्स – उन्नत तकनीक से नस्ल सुधार.
  4. ई-पशु हाट – किसानों और पशु प्रजनकों को ऑनलाइन जोड़ने के लिए.
  5. पशु संजीवनी सेवा वाहन – पशुओं के इलाज और कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं के लिए.
  6. राष्ट्रीय गोवंश जीनोमिक केंद्र और कामधेनु प्रजनन केंद्र – देसी नस्लों के जीन शोध और संरक्षण के लिए.
  7. कामधेनु पुरस्कार और गोपाल रत्न पुरस्कार – पशुपालन में उत्कृष्ट योगदान के लिए.
  8. जरूरी देसी और विदेशी नस्लें

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत भारत की महत्वपूर्ण देसी नस्लों जैसे गिर, साहीवाल, हल्लीकार, अमृतमहल, देवनी गाय और मुर्रा, जाफराबादी भैंस के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, विदेशी नस्लों जैसे जर्सी और होलस्टीन फ्राइजियन गायों का भी उचित प्रबंधन किया जा रहा है.

दूध उत्पादन और रोजगार बढ़ेगा

राष्ट्रीय गोकुल मिशन से देश की दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, जिससे दूध की उपलब्धता बढ़ेगी. यह किसानों को खेती के अलावा एक अतिरिक्त आय का स्रोत देगा, खासकर खराब मौसम या फसल नुकसान के समय. योजना से पशुपालन आधारित उद्योग जैसे चारा उत्पादन और जैविक खाद उद्योग भी बढ़ेंगे, जिससे रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे. इसके साथ ही, देसी नस्लें स्थानीय जलवायु के अनुसार ढली होती हैं और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं, जिससे पशुपालन लागत भी कम होगी. देसी नस्लों के दूध में वसा और अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं.

इस तरह किसानों तक पहुंची योजना

राष्ट्रीय गोकुल मिशन को राज्य पशुधन विकास बोर्ड, CFSPTI (बेंगलुरु), CCBFs (केंद्रीय गो प्रजनन फार्म), ICAR, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और गौशालाओं के माध्यम से लागू किया जा रहा है. यह संस्थाएं किसानों तक योजना का लाभ पहुंचाने और वैज्ञानिक तरीकों से नस्ल सुधार के कार्य कर रही हैं.

Published: 26 Jun, 2025 | 06:45 AM