हीटवेव से पशुओं को बचाने की सलाह..पानी की मात्रा बढ़ाएं पशुपालक, आठ टिप्स

उत्तर प्रदेश में 14 और 15 मई को संभावित हीटवेव के मद्देनज़र पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे अपने पशुओं को लू से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतें.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 14 May, 2025 | 05:06 PM

मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र की ओर से 14 और 15 मई को उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में उष्ण लहर (हीटवेव) चलने की संभावना जताई जा रही है. किसान भाई सुबह शाम को खेती का काम करें दोपहर में धूप में निकलने से बचें. ज्यादा पानी पिएं, सिर ढंक के निकलने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही पशुओं को भरपूर पानी देने और उन्हें छाया में रखने का सुझाव दिया गया है.

हीटवेव से ऐसे बचाएं पशुओं को

  1. पशुओं को दिन में दो से तीन बार ठंडा और साफ पानी पिलाएं.
  2. यदि संभव हो तो सुबह और शाम के समय उन्हें पोखर या तालाब में नहलाएं.
  3. दोपहर के समय नहलाने से बचें, क्योंकि इससे लू लगने का खतरा बढ़ जाता है.
  4. शेड के ऊपर टाट या पुआल रखें और उस पर पानी का छिड़काव करें ताकि तापमान कम हो.
  5. गर्मियों में गीला भूसा और हरी घास जैसे ठंडे तत्व मवेशियों के पाचन को बेहतर बनाते हैं.

लू से बचने के लिए देसी नुस्खे का प्रयोग करें

गर्मी के मौसम में पशुओं की देखभाल के लिए पारंपरिक आहार और देसी नुस्खे अत्यंत प्रभावी साबित होते हैं. गुड़, प्याज, पुदीना, सौंफ और गोंद कतीरा का अर्क मिलाकर पानी देने से मवेशियों की इम्यूनिटी बढ़ती है, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है. इसके अतिरिक्त, सरसों के तेल और गेहूं के आटे से बनी गोलियां तथा लोबिया घास जैसे देसी उपाय गर्मी में पशुओं की ऊर्जा और पाचन क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे वे स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन संतोषजनक बना रहता है.

चराई और गतिविधियों का समय निर्धारण

  1. पशुओं को चराने के लिए सुबह और शाम का समय चुनें.
  2. दोपहर की तेज धूप में उन्हें बाहर ले जाने से बचें, क्योंकि इससे लू लगने का खतरा बढ़ जाता है.
  3. गर्मी में पशु का शरीर अधिक तापमान नहीं सहन कर पाता है, जिससे उनकी सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

पशुओं में लू लगने के लक्षण

गर्मी के मौसम में पशुओं को लू लगने से बचाना अत्यंत आवश्यक है. लू लगने पर पशु सुस्त हो जाते हैं, खाना-पीना छोड़ देते हैं और हांफने लगते हैं. इतना ही नहीं एक्सपर्टों की माने तो उस समय उनके शरीर का तापमान 106 से 108 डिग्री फ़ारेनहाइट तक बढ़ सकता है. इसके अलावा मुंह से झाग आना, आंख और नाक का लाल होना, नाक से खून आना और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे लक्षणों के प्रकट होते ही पशुपालकों को तुरंत सावधानी बरतनी चाहिए और पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

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Published: 14 May, 2025 | 05:04 PM

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