78 गांव.. 57 स्कूल और लाखों लीटर पानी, किसानों की कंपनी स्वराज ने रचा इतिहास

स्वराज ट्रैक्टर्स को राजस्थान सरकार ने भामाशाह पुरस्कार से सम्मानित किया है. क्योंकि स्वराज अब सिर्फ ट्रैक्टर निर्माता नहीं, बल्कि गांवों के विकास में सक्रिय भागीदार बन चुका है.

नोएडा | Published: 30 Jun, 2025 | 11:12 PM

जिस कंपनी के ट्रैक्टर खेतों में दौड़ते हैं, उसी कंपनी ने अब गांवों और स्कूलों में नई जिंदगी की बुनियाद रखी है. किसानों के भरोसे का नाम स्वराज ट्रैक्टर्स अब सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज सेवा में भी बड़ा योगदान दे रहा है. यही वजह है कि राजस्थान सरकार ने स्वराज डिवीजन को भामाशाह पुरस्कार देकर इसके सामाजिक कार्यों को सराहा है.

जोधपुर के स्कूलों में बहा बदलाव का पानी

स्वराज डिवीजन को यह सम्मान वित्त वर्ष 2024-25 में जोधपुर जिले के सरकारी स्कूलों में किए गए विकास कार्यों के लिए मिला है. इन स्कूलों में रूफटॉप रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम यानी छत पर वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की गई, जिससे बच्चों को साफ और सुरक्षित पानी मिल सके. साथ ही स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए शिक्षण-सह-शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध कराई गई, जिससे शिक्षा की क्वालिटी में सुधार हुआ.

जल संकट और फ्लोराइड जैसी समस्याओं से मुकाबला

राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में जल संकट और फ्लोराइड प्रदूषण जैसी समस्याएं वर्षों से लोगों की सेहत और जिंदगी पर असर डाल रही हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्वराज डिवीजन ने सर्व मंगल ग्रामीण विकास संस्थान के साथ मिलकर 78 गांवों, 20 ब्लॉकों और 8 जिलों में एक बड़ा अभियान शुरू किया.

18 जल स्रोतों का पुनर्निर्माण और 57 स्कूलों में जल टैंक

पिछले 6 सालों में इस योजना के तहत 18 पुराने पानी के स्रोतों को फिर से ठीक किया गया, जिससे करीब 37 लाख लीटर से ज्यादा पानी जमा हुआ. यह पानी पीने और खेतों की सिंचाई दोनों के लिए इस्तेमाल हो रहा है. इसके साथ ही 57 सरकारी स्कूलों की छतों पर बारिश का पानी जमा करने की व्यवस्था की गई, जिससे बच्चों को साफ पानी मिल रहा है.

स्वराज ट्रैक्टर्स

स्वराज का संकल्प गांव-गांव तक जल और उजाला

लाखों लोगों और जानवरों को मिला सीधा लाभ

इस पूरे प्रयास से अब तक 48 हजार से ज्यादा ग्रामीण, 37 हजार पशु और 3 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि को फायदा पहुंचा है. इस बदलाव का असर अब स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, गांवों में स्वास्थ्य और खेतों की हरियाली में साफ दिख रहा है.

बदलाव की मशीन बनी स्वराज

यह भामाशाह पुरस्कार सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि यह मान्यता है कि स्वराज जैसी कंपनियां अगर चाहें तो समाज में गहरी सकारात्मक छाप छोड़ सकती हैं. स्वराज ने सस्टेनेबिलिटी और सामाजिक जिम्मेदारी को अपने काम में मिलाकर गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की जो पहल की है, वह पूरे देश के लिए मिसाल है.

स्वराज ट्रैक्टर्स का संक्षेप परिचय

1974 में पंजाब में स्थापित स्वराज ट्रैक्टर्स, महिंद्रा ग्रुप का हिस्सा है और आज भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रैक्टर ब्रांड है. ‘किसानों द्वारा, किसानों के लिए’ की सोच के साथ बने इस ब्रांड के कई कर्मचारी खुद भी किसान हैं, जो अपने अनुभव से मजबूत, टिकाऊ और भरोसेमंद ट्रैक्टर तैयार करते हैं. स्वराज 15 से 65 हॉर्स पावर तक के ट्रैक्टर बनाता है, जो खेती और बागवानी के लिए बेहतरीन विकल्प हैं.