भारत में कृषि क्षेत्र हमेशा ही देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है. फसलों की बेहतर पैदावार के लिए उर्वरक की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण होती है. लेकिन पिछले कुछ समय से किसानों को उर्वरक की कमी और बढ़ती कीमतों से काफी परेशानी हो रही है. ऐसे में चीन द्वारा उर्वरक की आपूर्ति को लेकर आश्वासन देना किसानों के लिए राहत की खबर बनकर सामने आया है.
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे, इस दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मुलाकात की और कहा कि चीन भारत की तीन प्रमुख जरूरतों-उर्वरक, रेयर अर्थ और टनल बोरिंग मशीनों को पूरा करने के लिए कदम उठा रहा है. विशेष रूप से उर्वरक की उपलब्धता पर जोर दिया गया. इससे भारत के किसानों को उनकी फसलों के लिए समय पर और पर्याप्त मात्रा में उर्वरक मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.
इस दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि बातचीत में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दे, तीर्थ यात्रा, लोगों के बीच संपर्क, नदी डेटा साझा करना, सीमा व्यापार, कनेक्टिविटी और द्विपक्षीय आदान-प्रदान शामिल होंगे. जयशंकर ने यह भी कहा कि पड़ोसी और प्रमुख आर्थिक शक्तियों के रूप में भारत-चीन संबंधों के कई पहलू हैं, जिन्हें सम्मान, आपसी हित और संवेदनशीलता के आधार पर संभालना जरूरी है.
कृषि और उर्वरक की अहमियत
भारत में अधिकांश किसान गेहूं, धान, मक्का, गन्ना और सब्जियों जैसी प्रमुख फसलों की खेती करते हैं. इन फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए यूरिया, डीएपी, मुराटोरियम और पोटाश जैसे उर्वरक अत्यंत जरूरी हैं. यदि समय पर उर्वरक उपलब्ध नहीं होता, तो फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं. यही कारण है कि चीन द्वारा उर्वरक आपूर्ति का आश्वासन किसानों के लिए सकारात्मक संकेत है.
उर्वरक की कमी का प्रभाव
उर्वरक की कमी से किसानों को खेती में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कम उर्वरक की वजह से फसल कम होती है, उत्पादन घटता है और किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. साथ ही, किसान बढ़ती कीमतों के कारण ज्यादा खर्च करते हैं. भारत में उर्वरक की जरूरत लगातार बढ़ रही है, खासकर मानसून और खरीफ सीजन में, जब फसलों के लिए अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है.
आर्थिक और वैश्विक परिप्रेक्ष्य
वांग यी के दौरे और उर्वरक आपूर्ति पर चीन के आश्वासन के साथ, भारत और चीन के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध भी मजबूत होंगे. इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी स्थिरता मिलेगी. यह कदम वैश्विक स्तर पर भारत की कृषि सुरक्षा को भी मजबूती देगा और किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा.
किसानों के लिए राहत की खबर
चीन का यह आश्वासन समय पर आया है क्योंकि देश में खरीफ फसलों की बुवाई और उत्पादन के लिए किसानों को उर्वरक की तत्काल जरूरत है. यदि सही समय पर उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाती है, तो किसान कम लागत में बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं.
पूर्व तनाव और वर्तमान स्थिति
भारत-चीन संबंध 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य तनाव के बाद कमजोर हुए थे. अप्रैल-मई 2020 में शुरू हुई इस तनावपूर्ण स्थिति को धीरे-धीरे कम किया गया. 2024 BRICS शिखर सम्मेलन से पहले दोनों देशों ने LAC पर पेट्रोलिंग व्यवस्था पर समझौता किया और तनाव में कुछ राहत आई.
वैश्विक अर्थव्यवस्था और स्थिरता
जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के समाधान और वैश्विक व्यापार तनावों के बीच, वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता बढ़ाना महत्वपूर्ण है. चीन के विदेश मंत्री का दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 31 अगस्त से 2025 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने से पहले हुआ है.