भारतीय बाजार के साथ-साथ महिंद्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पकड़ मजबूत की है. निर्यात में 9 प्रतिशत की वृद्धि बताती है कि विदेशी बाजारों में भी भारतीय ट्रैक्टरों की मांग लगातार बढ़ रही है. अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में कंपनी का विस्तार इसकी अंतरराष्ट्रीय सफलता का मुख्य कारण है.
जैसे ही तापमान शून्य के करीब पहुंचता है, ट्रैक्टर के कई हिस्सों पर इसका असर साफ दिखाई देता है. डीजल ट्रैक्टरों में ईंधन जमने लगता है, इंजन ऑयल गाढ़ा हो जाता है और बैटरी भी अपनी शक्ति खोने लगती है. अगर सावधानी न बरती जाए तो ट्रैक्टर को स्टार्ट करने में काफी समय लग सकता है या मशीन बिल्कुल ही चालू न हो.
डिस्क प्लाऊ को चलाने के लिए इसे ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है. इसकी बेहतर जुताई के लिए कम से कम 35 से 50 हॉर्सपावर का ट्रैक्टर होना चाहिए. ज्यादा शक्ति वाला ट्रैक्टर इसे कठिन जमीन में भी आसानी से खींच सकता है. ट्रैक्टर जितना मजबूत होगा, जुताई उतनी गहरी और समान होगी.
मोंट्रा इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर्स के CEO हरीश प्रसाद ने कहा कि हमारे मोंट्रा इलेक्ट्रिक E-27 ट्रैक्टर देश के उत्तरी बाजारों में उपलब्ध हैं. किसान अब प्रोडक्टिविटी से समझौता किए बिना लेटेस्ट टेक्नोलॉजी अपना सकते हैं और साथ ही अपनी कुल ओनरशिप कॉस्ट को भी काफी कम कर सकते हैं.
EIMA Agrimach News: खेतीबाड़ी से जुड़े लोगों के लिए बड़े काम की खबर है. 27-29 नवंबर तक दिल्ली में हो रही है एक बड़ी प्रदर्शनी जिसमें ट्रैक्टर, मशीनरी, खाद, बीज के अलावा Agriculture के हर फील्ड से जुड़ी लेटेस्ट जानकारी मिलेगी.
डीजल ट्रैक्टरों की तुलना में यह मॉडल कम धुआं छोड़ता है और कार्बन उत्सर्जन को काफी कम करता है. इससे गांवों में प्रदूषण नियंत्रित करने और स्वच्छ हवा बनाने में मदद मिलेगी. वहीं, गोबरधन जैसी योजनाओं से बने बायो-गैस का उपयोग होने से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी संभव है.