यह सवाल सिर्फ कीमत तक सीमित नहीं है. इसमें रखरखाव, ईंधन की उपलब्धता, पर्यावरणीय असर और लंबे समय तक काम करने की क्षमता भी जुड़ी है. आइए जानते हैं दोनों प्रकार के ट्रैक्टर की खूबियों और कमियों को, ताकि किसान अपने खेत और जरूरत के हिसाब से सही चुनाव कर सकें.
पिछले साल देश में लगभग 10 लाख ट्रैक्टरों की बिक्री हुई थी. फिलहाल 50 हॉर्स पावर से अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टरों में बीएस-4 इंजन लगा हुआ है. बीएस-3ए से बीएस-4 इंजन लागू होने पर ट्रैक्टर की कीमत में 1 से 1.5 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हुई थी.
Agri Machines on Discount: राज्य सरकार के कृषि विभाग की ओर से कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत यह लाभ दिया जा रहा है. इस योजना में किसान थ्रेसर, हैप्पी सीडर, कल्टीवेटर, ट्रैक्टर, हैरो और अन्य कई कृषि उपकरणों को रियायती दरों पर खरीद सकते हैं.
साल 2025 में किसानों के लिए ट्रैक्टर खरीदना पहले से आसान हो गया है, खासकर छोटे खेतों वाले किसानों के लिए. हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने कृषि उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, सिंचाई मशीन और जैव-कीटनाशकों पर टैक्स 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है.
Rabi सीजन से पहले किसानों के लिए बड़ा लाभ. कृषि यंत्र और ट्रैक्टर पर 80% तक सब्सिडी, जिससे कम लागत में खेती आसान और आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
साधारण डीजल ट्रैक्टर हर घंटे में करीब 1.5 लीटर डीजल खर्च करता है, जबकि यह ई-ट्रैक्टर 5 घंटे में सिर्फ 18 से 20 यूनिट बिजली में काम कर लेता है. इससे किसान लगभग 64 फीसदी खर्च बचा सकते हैं. एक पूरे सीजन में यह बचत हजारों रुपये की हो सकती है.