भेड़ों में कई बार गंभीर बीमारियां लग जाती हैं जो तेजी से पूरे झुंड में फैल सकती हैं. खुरपका, गलघोंटू, ब्रुसीलोसिस जैसे रोग जानलेवा हो सकते हैं. समय पर टीकाकरण और डॉक्टर की जांच से इनसे बचा जा सकता है.
स्वस्थ मछलियों की पहचान मछली पालन में सफलता की कुंजी है. रंग, व्यवहार, शरीर की बनावट और भोजन की रुचि से मछली की सेहत का पता चलता है. सही देखभाल से मुनाफा और उत्पादन दोनों बढ़ता है.
गायों को स्वस्थ रखना डेयरी व्यवसाय के लिए बेहद जरूरी है. समय पर बीमारियों की पहचान और इलाज से दूध उत्पादन बढ़ता है और नुकसान से बचा जा सकता है. साफ-सफाई, टीकाकरण और देखभाल ही बचाव का उपाय है.
सितंबर महीने में पशुओं की देखभाल जरूरी है. साफ-सफाई, टीकाकरण, साफ पानी और चारे का ध्यान रखकर बीमारियों से बचा जा सकता है. थोड़ी सतर्कता सालभर की कमाई और पशु की सेहत दोनों को सुरक्षित रख सकती है.
भैंस पालन आज के समय में कमाई का मजबूत जरिया बन चुका है. दूध, घी, गोबर और बछड़ों से लगातार आमदनी होती है. सही देखभाल और मेहनत से यह काम गांव की महिलाओं की तकदीर बदल रहा है.
गाय-भैंस का दूध कम होना सामान्य नहीं, यह फुट एंड माउथ डिजीज का संकेत हो सकता है. समय पर पहचान, वैक्सीनेशन और साफ-सफाई से पशुओं को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है. लापरवाही न करें.