बरसात का मौसम हरियाली और ठंडक तो लाता है, लेकिन पशुपालकों के लिए यह खतरे का मौसम भी बन सकता है. नमी, गंदगी और चारे की खराब स्थिति पशुओं को गंभीर बीमारियों में धकेल सकती है. अगर आप जरा सी भी लापरवाही करते हैं, खासकर उनके खाने-पीने को लेकर तो बीमारी तो होगी ही, साथ ही इलाज में हजारों रुपये खर्च भी हो सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप इन 5 आम गलतियों से बचें, जो बरसात के मौसम में अक्सर पशुपालक कर बैठते हैं. अगर थोड़ा ध्यान रखेंगे तो पशु भी स्वस्थ रहेंगे और जेब भी सुरक्षित रहेगी.
1. संतुलित पशु आहार न देना
सबसे बड़ी गलती होती है संतुलित आहार न देना. दरअसल होता ये है कि किसान अक्सर ज्यादा हरा चारा देखकर खुश हो जाते हैं और हर दिन वही खिलाते हैं. लेकिन ध्यान रखें, अगर आप सिर्फ हरा चारा देंगे तो पशु को दस्त, गैस और पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. इसका असर उसकी सेहत और दूध पर भी पड़ता है. चारा देने का सही तरीका यह है कि आप 60 फीसदी हरा चारा और 40 फीसदी सूखा चारा मिलाकर खिलाएं. इससे उसका पाचन ठीक रहेगा और वह स्वस्थ रहेगा.
2. पशुओं को गीला चारा देने से बचें
मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बरसात के मौसम में चारे में नमी ज्यादा हो जाती है, जिससे उसमें फफूंद लगने का खतरा बढ़ जाता है. यह फफूंद दिखती नहीं है, लेकिन पशु का पेट खराब कर सकती है. इससे उसे गैस, उल्टी और बदहजमी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो बीमारी गंभीर भी हो सकती है. इसलिए हमेशा चारा खिलाने से पहले उसे धूप में सुखा लें. बेहतर होगा कि साफ और सूखा चारा ही इस्तेमाल करें, ताकि पशु स्वस्थ रहे.
3. गंदे पानी और चारे से न बढ़ाएं बीमारी का खतरा
बरसात के मौसम में नालियां, तालाब और आसपास का पानी गंदा हो जाता है. अगर आप वहीं से पानी या चारा लाकर पशु को दे रहे हैं तो ये सीधे बीमारी को बुलावा देने जैसा है. क्योंकि गंदा पानी पीने से पशु के पेट में कीड़े हो सकते हैं और संक्रमण फैल सकता है, जिससे उसकी सेहत बिगड़ सकती है. इससे दूध उत्पादन पर भी असर पड़ता है. ऐसे में पशु को हमेशा साफ पानी पिलाएं और रोजाना चारे की अच्छे से सफाई करें.
4. कान और शरीर की सफाई नजरअंदाज करना
बरसात के मौसम में नमी और गंदगी बढ़ जाती है, जिससे पशुओं के कान में कीड़े या बैक्टीरिया घुस सकते हैं. इससे उन्हें खुजली, जलन या दर्द होने लगता है और वे बेचैन हो जाते हैं. इसका असर उनके खाने, व्यवहार और दूध देने की क्षमता पर भी पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि हर 2 से 3 दिन में उनके कान और शरीर की अच्छे से सफाई करें. अगर पशु को नहलाएं तो बाद में उसे अच्छी तरह सुखाना बिल्कुल न भूलें.
5. लक्षण दिखते ही न करें अनदेखी
कई बार किसान छोटी-छोटी बीमारी को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन जब पशु की हालत बिगड़ जाती है, तब डॉक्टर के पास जाते हैं. तब तक काफी देर हो चुकी होती है और इलाज में ज्यादा खर्च भी आता है. इसलिए जरूरी है कि आप सतर्क रहें. जैसे ही कोई लक्षण दिखे तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक से सलाह लें. समय पर इलाज मिलने से पशु जल्दी ठीक हो सकता है और बड़ा नुकसान भी टल सकता है.