बिना पैसे खर्च किए बीमारी से पशुओं को बचाने का जुगाड़, इस पेड़ के पत्ते का कमाल

बरसात के मौसम में मच्छर और मक्खियों से जानवर बुरी तरह परेशान रहते हैं. कई बार यह कीट पशुओं के लिए जानलेवा बीमारियों का कारण भी बनते हैं. इससे बचने के लिए देसी जुगाड़ का इस्तेमाल किया जा रहा है.

नोएडा | Published: 26 Jun, 2025 | 02:57 PM

बरसात का मौसम आते ही गांव की गलियों से लेकर पशुशालाओं तक मच्छर और मक्खियों का आतंक शुरू हो जाता है. ये छोटे-छोटे कीड़े इंसानों को तो तंग करते ही हैं, लेकिन सबसे ज्यादा परेशान होते हैं पशु – जो पूंछ हिलाकर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन अक्सर हार जाते हैं. बार-बार काटे जाने से उनकी त्वचा पर खुजली, लाल दाने और सूजन होने लगती है. ऐसे में गांव के लोग किसी दवा या महंगे स्प्रे की जगह एक पुराना देसी तरीका अपनाते हैं , नीम की पत्तियां जलाकर धुआं करना.

ये धुआं न केवल मच्छर-मक्खियों को दूर भगाता है, बल्कि पशुओं को राहत भी देता है. यही वजह है कि गांवों में नीम का धुआं अब बरसात के मौसम में जानवरों का सबसे बड़ा रक्षक बन गया है. एक ऐसा देसी जुगाड़, जो सस्ता भी है और असरदार भी.

किसान ने बताए देसी जुगाड़ के फायदे

प्रयागराज के कोरांव तहसील के डीहिया गांव के पशुपालक शशिकांत मिश्रा बताते हैं कि गांवों में जब बरसात का मौसम आता है तो खेत-खलिहानों के साथ-साथ पशुशालाएं भी मच्छर और मक्खियों से भर जाती हैं. ये कीड़े न केवल इंसानों को काटते हैं बल्कि जानवरों के लिए भी बड़ी परेशानी बन जाते हैं. लगातार पूंछ हिलाते जानवर, चारा खाते वक्त भी असहज हो जाते हैं. ऐसे में कई जगहों में ग्रामीण लोग पुराने परंपरागत तरीके अपनाते हैं, नीम की पत्तियां जलाना. इसका धुआं पशुओं को मच्छर और मक्खियों से राहत दिलाता है.

नीम का धुआं क्यों है असरदार

उनका कहना है कि नीम के पत्तों में प्राकृतिक कीटनाशक गुण होते हैं और जब इन्हें जलाया जाता है तो उसमें से जो धुआं निकलता है, वह मच्छरों और मक्खियों को भगा देता है. ये धुआं न सिर्फ हवा में उड़ते कीड़ों को दूर रखता है, बल्कि उनके छिपने की जगहों तक भी असर पहुंचाता है. नीम का धुआं किसी केमिकल स्प्रे की तरह तेज नहीं होता, लेकिन नियमित उपयोग से इसका प्रभाव लम्बे समय तक रहता है.

शशिकांत मिश्रा पशुपालक प्रयागराज

शशिकांत मिश्रा पशुपालक प्रयागराज

त्वचा की बीमारियों से भी राहत

मच्छरों और मक्खियों के काटने से कई बार जानवरों की त्वचा पर लाल चकत्ते, सूजन या खुजली हो जाती है. इससे जानवर चारा छोड़ सकते हैं, दूध कम कर सकते हैं और बीमार पड़ सकते हैं. ऐसे में नीम के धुएं से इन कीड़ों का असर घटता है और जानवर आराम से रह पाते हैं. इससे उनके स्वास्थ्य और उत्पादन दोनों पर अच्छा असर पड़ता है.

परजीवियों का खात्मा

पशुशाला में कई बार ऐसे परजीवी छिपे रहते हैं जिनके अंडे गंदगी में पनपते हैं. नीम का धुआं न केवल उड़ते कीड़ों को भगाता है, बल्कि यह परजीवियों के अंडों को भी नुकसान पहुंचाता है. इससे जानवरों में फैलने वाली कई बीमारियों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है. यह एक सस्ता और टिकाऊ उपाय है जिसे हर किसान आसानी से अपनाता है.