पशुओं की हड्डी जोड़ने वाला चमत्कारी ग्लू! अब बिना सर्जरी के जुड़ेंगी फ्रैक्चर हड्डियां, IVRI का कमाल

बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के वैज्ञानिकों ने एक बायोएक्टिव गोंद तैयार किया है, जो बिना सर्जरी के टूटी हुई हड्डियों को जोड़ सकता है. यह तकनीक इलाज को सस्ता, आसान और कम दर्दनाक बना सकती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 25 Jul, 2025 | 05:11 PM

अब हड्डी टूटने पर सर्जरी या भारी भरकम रॉड की जरूरत नहीं पड़ेगी. बरेली स्थित पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने 15 साल की लंबी मेहनत के बाद एक ऐसा बायो एक्टिव ग्लू तैयार किया है जो टूटी हड्डियों को प्राकृतिक तरीके से जोड़ता है, वो भी बिना किसी सर्जरी या बाहरी सपोर्ट के. पहले इसका उपयोग पशुओं पर किया गया, लेकिन अब कुछ डॉक्टरों ने इसे इंसानों पर भी सफलतापूर्वक आजमाया है. ये खोज न केवल पशु चिकित्सा बल्कि मानव चिकित्सा क्षेत्र के लिए भी एक नई उम्मीद बनकर उभरी है.

कैसे काम करता है ये बायो एक्टिव ग्लू?

प्रसार भारती की रिपोर्ट के मुताबिक, पशु चिकित्सा संस्थान के शल्य विभाग ने भैंस के टिशू से एक खास जैविक ग्लू तैयार किया है. इस ग्लू को शरीर में इंजेक्ट करते ही यह तुरंत काम करना शुरू कर देता है. इसके अलावा यह हड्डियों और सॉफ्ट टिशू की मरम्मत तेजी से करता है. जहां पहले मल्टीपल फ्रैक्चर या गंभीर चोट के लिए महीनो लग जाता था, वहीं यह ‘बायो ग्लू‘ कुछ ही दिनों में असर दिखाता है. खास बात यह कि इसे जानवरों की सर्जरी में भी बड़ी कामयाबी से आजमाया गया है.

छोटे जानवरों पर सफल परीक्षण अब इंसानों में भी असरदार

बरेली स्थित पशु चिकित्सा की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रेखा पाठक के मुताबिक, बायो एक्टिव ग्लू को पहले छोटे जानवरों पर परखा गया, जहां इसके परिणाम बेहद प्रभावशाली रहे. इसके बाद कुछ चिकित्सकों ने इसे इंसानी मरीजों पर आजमाया और वहां भी यह पूरी तरह सफल रहा. परीक्षणों में यह देखा गया कि यह ग्लू हड्डियों और सॉफ्ट टिशू को तेजी से जोड़ने में सक्षम है. इस सफलता से यह साबित होता है कि यह जैविक ग्लू भविष्य में हड्डी से जुड़ी गंभीर बीमारियों और चोटों का एक सस्ता, आसान और सुरक्षित इलाज बन सकता है.

हड्डियों को जोड़ने वाला बायो-ग्लू द, IVRI बरेली की लैब से

15 साल की मेहनत से बनी जैविक ग्लू तकनीक

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 15 साल पहले बरेली के पशु चिकित्सा संस्थान  में हुई थी. शुरुआत में यह केवल एक शोध प्रोजेक्ट था, लेकिन समय के साथ इसमें डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DPT) का सहयोग भी मिला, जिससे यह तकनीक और परिष्कृत होती गई. डॉ. रेखा पाठ के मुताबिक, इस ग्लू की सबसे खास बात यह है कि यह जैविक है और शरीर के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. न कोई साइड इफेक्ट, न कोई एलर्जी और न ही कोई बड़ी सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

घायल पशुओं के लिए सुरक्षित और सस्ता समाधान

बायो एक्टिव ग्लू पशु चिकित्सा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज मानी जा रही है. यह उन पशुपालकों के लिए राहत की खबर है जिनके जानवर दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं. साथ ही, यह मेडिकल क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां आधुनिक सर्जरी की सुविधाएं नहीं हैं.

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Published: 25 Jul, 2025 | 05:11 PM

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