ठंडी हवा खेतों में सुबह-सुबह ओस की बूंदों के साथ जब चमक फैलाती है, तो किसान का दिल भी नई उम्मीदों से भर उठता है. गेहूं की खेती का असली मौसम भले ही नवंबर माना जाता हो, लेकिन हर किसान के पास हमेशा कैलेंडर की तरह तय समय नहीं होता. कई बार पानी की दिक्कत, फसल कटाई में देरी या खेत तैयार न होने की वजह से गेहूं की बुवाई समय से नहीं हो पाती. ऐसे किसान अब परेशान न हों, क्योंकि दिसंबर में भी गेहूं बो कर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है-बस सही पछेती किस्मों का चुनाव करना जरूरी है.
देर से बुवाई पर भी नहीं घटेगा उत्पादन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आम तौर पर माना जाता है कि देर से बोए गेहूं की पैदावार पर असर पड़ता है, लेकिन अब नई उन्नत किस्मों ने यह मिथक काफी हद तक तोड़ दिया है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि यदि किसान नवंबर में बुवाई नहीं कर पाए, तो भी दिसंबर का महीना एक अच्छा मौका देता है. देर से बुवाई के लिए खास किस्मों को तैयार किया गया है, जो कम तापमान, छोटे सीजन और कम धूप में भी बढ़िया विकास करती हैं. ये किस्में तेजी से बढ़ती हैं, जल्दी बालियां बनाती हैं और ठंड का मुकाबला अच्छी तरह करती हैं. यही वजह है कि किसान देर से बुवाई करने पर भी बेहतर उत्पादन की उम्मीद रख सकते हैं.
कौन-सी किस्में दिसंबर में दे सकती हैं अच्छा परिणाम
अगर गेहूं की बुवाई के लिए समय निकल चुका है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. पछेती खेती के लिए कुछ खास किस्में बेहद लाभदायक मानी जाती हैं. इनमें ऐसी वैरायटी शामिल हैं जो 20 दिसंबर के बाद तक भी बोई जा सकती हैं और फिर भी अच्छी पैदावार देती हैं. इन किस्मों की खासियत यह है कि ये ठंडी मिट्टी में भी जल्दी अंकुरित हो जाती हैं और कम समय में फसल तैयार कर देती हैं. कई किसान इन किस्मों का उपयोग हर साल करते हैं और बताते हैं कि थोड़ा सा प्रबंधन करके दिसंबर में भी गेहूं से बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है.
खेत की तैयारी सही हो तो देर का नुकसान नहीं
अगर बुवाई देर से हो रही है, तो खेत की तैयारी पहले से बेहतर करनी होगी. खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी को नरम और भुरभुरा बनाना जरूरी है, ताकि बीज जल्दी अंकुरित हो सके. इसके बाद हल्की नमी वाला खेत बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. लाइन से बीज बोने की पद्धति हमेशा बेहतर होती है, क्योंकि इससे पौधों को बराबर जगह मिलती है और हवा-पानी का संतुलन सही रहता है.
सही प्रबंधन से दिसंबर में भी अच्छी कमाई संभव
दिसंबर में बोए गेहूं की सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसान थोड़ी अधिक देखभाल और सावधानी से उतना ही लाभ उठा सकते हैं जितना नवंबर में बोई गई फसल से मिलता है. फसल को शुरुआती दिनों में हल्की सिंचाई, समय पर नाइट्रोजन और खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी है. जैसे ही पौधा बढ़ने लगे, उस पर खास ध्यान देने से बालियों का विकास बेहतर होता है और उत्पादन पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ता. सही किस्म, सही तैयारी और सही समय पर देखभाल-ये तीन बातें मिल जाएं, तो किसान दिसंबर में भी गेहूं की खेती से अच्छी कमाई सुनिश्चित कर सकते हैं.