कम चारा, ज्यादा दूध- मराठवाड़ी भैंस से करें डेयरी बिजनेस, होगी जबरदस्त कमाई

मराठवाड़ी भैंस एक देसी नस्ल है जो कम चारे में अधिक दूध देती है. यह भैंस भारतीय जलवायु में आसानी से पलती है और किसानों के लिए लाभदायक है. इसकी देखभाल आसान है और दूध में वसा की मात्रा अच्छी होती है. यह व्यवसायिक रूप से फायदेमंद है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 18 Sep, 2025 | 06:00 AM

Marathwadi Buffalo: आज के समय में डेयरी बिजनेस ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है. खासकर वो किसान जो कम जमीन या संसाधन में भी अच्छी कमाई करना चाहते हैं, उनके लिए पशुपालन एक शानदार विकल्प बन चुका है. अगर आप भी डेयरी से जुड़कर मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए मराठवाड़ी भैंस एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है. यह देसी नस्ल कम खुराक में ज्यादा दूध देती है और भारतीय जलवायु में आसानी से पलती है.

मराठवाड़ी भैंस का इतिहास और मूल स्थान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मराठवाड़ी भैंस की उत्पत्ति महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र से हुई है. यह एक प्राचीन देसी नस्ल है, जो बीड, परभणी, जालना, नांदेड़, लातूर और उस्मानाबाद जैसे जिलों में पाई जाती है. यह भैंस एलीचपुरी और दुधाणा थाड़ी नामों से भी जानी जाती है. मराठवाड़ी नस्ल की भैंसें जलवायु की मार झेलने में सक्षम होती हैं और कम संसाधनों में भी अच्छा उत्पादन देती हैं.

पहचान और दिखावट की खास बातें

मराठवाड़ी भैंस एक मजबूत और मध्यम आकार की देसी नस्ल है, जिसकी बनावट इसे खास बनाती है. इसका रंग गहरे भूरे से लेकर चमकदार काले तक होता है. इसका माथा चौड़ा और मजबूत होता है, जबकि गर्दन छोटी लेकिन मजबूत होती है. इस भैंस की सबसे खास पहचान इसके बड़े और घुमावदार सींग होते हैं, जो दूर से ही ध्यान खींचते हैं. एक व्यस्क मराठवाड़ी भैंस का वजन लगभग 320 से 400 किलोग्राम तक होता है. इसकी मजबूत काया और जलवायु सहनशक्ति के कारण यह भारत के अधिकतर हिस्सों में पालन के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

दूध उत्पादन क्षमता और आर्थिक लाभ

मराठवाड़ी भैंस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम चारा खाने के बावजूद अधिक दूध देती है. एक ब्यांत में यह नस्ल लगभग 1120 से 1200 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. इसके दूध में वसा (फैट) की मात्रा अच्छी होती है, जिससे दूध की गुणवत्ता बेहतर मानी जाती है. बाजार में इसका दूध अच्छे दामों में बिकता है, जिससे किसानों को सीधा आर्थिक लाभ होता है. इस नस्ल की देखभाल भी आसान होती है, जिससे इसके रख-रखाव का खर्च बहुत कम आता है. यही कारण है कि यह भैंस किसानों के लिए लाभदायक विकल्प है.

भोजन और देखभाल में क्या रखें ध्यान

मराठवाड़ी भैंस से अच्छा दूध उत्पादन पाने के लिए उसे संतुलित और पोषक आहार देना बेहद जरूरी है. इसके लिए फलीदार चारा जैसे बरसीम और लुसेर्न, तूड़ी, भूसा, दाने, सरसों या सोयाबीन की खल, मक्का, गेहूं, बाजरा और जौ जैसे अनाज दिए जा सकते हैं. आहार में मिनरल मिक्सचर और विटामिन A, D, E की पूर्ति भी जरूरी है. साथ ही, साफ और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. भैंस की सफाई, समय पर टीकाकरण और मौसम के अनुसार देखभाल करने से यह नस्ल लंबे समय तक अच्छा उत्पादन देती है और स्वस्थ बनी रहती है.

किसानों के लिए कैसे है फायदेमंद सौदा

मराठवाड़ी भैंस एक देसी और टिकाऊ नस्ल है, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देती है. इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, जिससे बीमारी का खतरा कम रहता है और दवाइयों पर खर्च भी घटता है. यह भैंस भारतीय जलवायु के लिए पूरी तरह उपयुक्त है और गर्मी-सर्दी को आसानी से झेल लेती है. अच्छी देखभाल के साथ यह भैंस लगातार 6 से 7 साल तक दूध देती है. यही वजह है कि डेयरी व्यवसाय शुरू करने वाले किसानों के लिए यह एक सुरक्षित और लाभदायक निवेश मानी जाती है, जिससे वे स्थायी आमदनी कमा सकते हैं.

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Published: 18 Sep, 2025 | 06:00 AM

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