आलू की फसल के लिए खतरनाक है ब्‍लैक हार्ट बीमारी, जानें लक्षण और बचाव का तरीका

ब्लैक हार्ट डिजीज जो आलू के अंदर के हिस्‍से को प्रभावित करती है. इस बीमारी की वजह से उनका रंग गहरा भूरा या काला हो जाता है.  ब्‍लैक हार्ट बीमारी को Solanum Tuberosum के नाम से भी जानते हैं.

Kisan India
Noida | Published: 5 Apr, 2025 | 09:00 AM

आलू दुनिया की एक ऐसी फसल है जिसे प्रमुख खाद्य फसलों में से एक माना जाता है. इस वजह से इसका उत्‍पादन भी बड़े स्‍तर पर किया जाता है. ऐसे में इसका उत्‍पादन भी बड़े स्‍तर पर होता है. हालांकि, इसकी खेती के दौरान कई तरह की बीमारियां भी इसे लग सकती हैं जो फसल को पूरी तरह से नष्‍ट कर देती हैं. इनमें से ही एक है ब्लैक हार्ट डिजीज जो आलू के अंदर के हिस्‍से को प्रभावित करती है. इस बीमारी की वजह से उनका रंग गहरा भूरा या काला हो जाता है. 

क्‍यों होती है यह बीमारी 

ब्‍लैक हार्ट बीमारी को Solanum Tuberosum के नाम से भी जानते हैं. यह समस्या न सिर्फ किसानों को आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर भी गलत असर डालती है. इसलिए, ब्लैक हार्ट के लक्षणों, कारणों, प्रभावों और उससे कैसे निपटा जाए, इन रणनीतियों को समझना बहुत जरूरी है. ऐसा करने पर आलू के उत्पादन को और बेहतर और टिकाऊ बनाया जा सकेगा. 

ऑक्‍सीजन की कमी 

आलू की फसल में ब्लैक हार्ट होने की कई वजहें हैं. आलू की फसल को जब स्‍टोरेज के दौरान या खेत में ठीक से ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो इसकी कमी से कोशिकाएं मर जाती हैं. इस वजह से उनका रंग काला पड़ जाता है. स्‍टोरेज में खराब वेंटिलेशन और मात्रा से ज्‍यादा आलू को भरकर रखने से यह समस्या और बढ़ जाती है. 

ज्‍यादा तापमान 

अगर आलू की फसल को  हाई टेम्‍प्रेचर यानी 30° सेंटीग्रेट ज्‍यादा तापमान में लंबे समय के लिए रखा जाए तो उनके आतंरिक ऊतक नष्‍ट हो जाते हैं. इस वजह से भी यह बीमारी फसल को लग जाती है. गर्म मौसम में कटाई के बाद जल्दी ठंडा न करने पर यह समस्या अधिक गंभीर हो सकती है. 

मिट्टी का ज्‍यादा गीला होना 

भारी मिट्टी या बहुत ज्‍यादा गीली मिट्टी में कंदों को जरूरी ऑक्सीजन नहीं मिलती. इससे इसकी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और वो काली पड़ जाती हैं. जहां मिट्टी में ज्‍यादा जलभराव होता है, वहां पर यह स्थिति गंभीर हो जाती है. साथ ही अगर मिट्टी में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम की कमी हो तो भी आलू में ब्लैक हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ जाती है. असंतुलित उर्वरक उपयोग से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है.

बीमारी से होता नुकसान 

प्रभावित आलू बाजार में कम कीमत पर बिकते हैं या पूरी तरह खारिज कर दिए जाते हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है. प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी ऐसे आलू उपयोग में नहीं लिए जाते, जिससे आलू प्रसंस्करण उद्योग को भी हानि होती है. साथ ही ऐसे आलू जल्दी सड़ने लगते हैं जिससे स्‍टोरेज का समय कम हो जाता है. खराब आलू की वजह से बाकी आलू भी सड़ जाते हैं. 

कैसे पाएं इससे छुटकारा 

-खेत में जलभराव को रोकने के लिए जलनिकास की उचित व्यवस्था करें.
-मिट्टी के pH और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने के लिए नियमित परीक्षण कर उचित उर्वरकों का उपयोग करें.
-आलू की ऐसी किस्में चुनें जो ब्लैक हार्ट के प्रति कम संवेदनशील हों.
-ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करें, ताकि मिट्टी में नमी का संतुलन बनाए रखा जा सके.
-कैल्शियम और पोटैशियम की उचित मात्रा बनाए रखें, ताकि कंद की मजबूती बनी रहे.
-आलू की कटाई सुबह या शाम के समय करें, जब तापमान कम हो.
-कटाई के बाद आलू को छायादार और हवादार स्थान पर रखें.
-भंडारण के दौरान 3-4°C तापमान और 90 फीसदी नमी बनाए रखें और वेंटिलेशन पर ध्‍यान दें.
-CO₂ और O₂ के स्तर की नियमित निगरानी करें. 

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Published: 5 Apr, 2025 | 09:00 AM

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