मैसूर देसी बीज महोत्सव में कृषि विरासत और फसल विविधता पर जोर, 100 से ज्यादा किस्म के बीज पेश

बीज महोत्सव में पूरे कर्नाटक से करीब 20 से ज्यादा बीज संरक्षकों ने हिस्सा लिया. इन बीज संरक्षकों ने फलों, सब्जियों और दालों के अलग-अलग किस्मों के बीज पेश किए. दो दिन के इस महोत्सव में देसी चावल, बाजरा, दालें, कंद, साग-सब्जियों की 100 से ज्यादा किस्मों के बीज पेश किए गए.

नोएडा | Published: 7 Jul, 2025 | 09:57 PM

खेती किसानी में बीजों का महत्व बताने और साथ ही कृषि विरासत और फसलों की विविधता से किसानों की पहचान कराने के लिए कर्नाटक के मैसूर में देसी बीज महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव के आयोजन में सहज समृध्दि और रीबिल्ड इंडिया ने पूरा सहयोग दिया. बता दें कि इस आयोजन में कई अलग-अलग फसलों के 100 से ज्यादा किस्मों के बीजों को पेश किय गया. इस महोत्सव का उद्घाटन पेरियापटना तालुक के कनागलु गांव की किसान पद्मम्मा ने किया, जो कि एक बीज संरक्षक भी हैं. कार्यक्रम के दौरान पद्मा ने पीढ़ियों से चली आ रही देशी बीजों की विविधता को संरक्षित करने और पोषित करने में महिलाओं की भूमिका के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों में उन्होंने 100 से ज्यादा देशी बीजों को संरक्षित किया है.

महिलाएं करें बीज बैंक का नेतृत्व

मैसूर में आयोजित किए गए दो दिन के बीज महोत्सव में वैल्यू एडेड प्रोडक्ट भी बेचे गए. महोत्सव के दौरान बीज संरक्षक पद्मा ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा लोगू की गई सामुदायिक बीज बैंक योजना का नेतृत्व महिला समूहों के हाथों में दे दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि वे हर साल अलग-अलग फसलों के बीजों को खुद उगाती हैं और हर साल उनमें वृद्धि भी करती हैं. उन्होंने कहा कि इन बीजों को विकसित करने के बाद वे इच्छुक किसानों को ये बीज उपलब्ध कराती हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये चिंता भी जताई की बार बीज विविधता खो जाने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता. बता दें कि पद्मा पिछले 10 सालों में 100 से ज्यादा देशी बीजों का संरक्षण कर चुकी हैं.

कई किस्मों के बीज हुए पेश

बीज महोत्सव में पूरे कर्नाटक से करीब 20 से ज्यादा बीज संरक्षकों ने हिस्सा लिया. इन बीज संरक्षकों ने फलों, सब्जियों और दालों के अलग-अलग किस्मों के बीज पेश किए. दो दिन के इस महोत्सव में देसी चावल, बाजरा, दालें, कंद, साग-सब्जियों की 100 से ज्यादा किस्मों के बीज पेश किए गए. इसके साथ ही महोत्सव में मूंगफली की अलग-अलग किस्मों के बीज भी पेश किे गए. चने की कई किस्मों से बनाए गए उत्पादों को भी पेश किया गया. इसके अलावा महोत्सव में मानसून बुआई सीजन के लिए, जगलुरु रागी और अन्य बाजरा और सब्जियों के बीज के साथ-साथ सिद्द सन्ना, राजामुडी, सलेम सन्ना, रत्नचूड़ी, सिंधुर मधुसले, गंधा सेल, डोड्डा बैरा, बर्मा ब्लैक, चिन्नापोन्नी और एचएमटी जैसी देशी चावल की किस्में उपलब्ध थीं.

वैल्यू एडेड उत्पाद बने आकर्षण का केंद्र

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करनाटक में हुए बीज महोत्सव में वैल्यू एडेड उत्पादों की भी बिक्री हुई, और ये उत्पाद आकर्षण का केंद्र भी रहें. इन उत्पादों में कुल्थी दाल से बने कई अलग तरह के फूड आइटम्स, उत्तर कर्नाटक की ज्वार की रोटी और कम इस्तेमाल की जाने वाले फलों से बने पेय पदार्थ. इसके अलावा, मैसूर के कृषि कला द्वारा सोरेकाई(लौकी) का इस्तेमाल करके बनाए गए कलात्मक सामान जैसे दीपक, फूलदान और बीज राखियों ने भी लोगों को आकर्षित किया.

इस दौरान सुत्तूर में जेएसएस कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख बीएन ज्ञानेश ने कहा कि स्थानीय किस्में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होती हैं और ऐसी किस्मों को, संरक्षित, पोषित और बढ़ावा देना बेहद जरूरी है. उ ने कहा कि नंजनगुड रसाबले, राजामुडी और रत्नचुड़ी जैसी देशी फसलों को फिर से प्रमुखता मिलनी चाहिए.

बीज संरक्षण को लेकर किया गया जागरूक

बीज महोत्सव के दौरान आए हुए लोगों को बीजों के संरक्षण को लेकर जागरुक किया गया. किसानों को बताया गया कि बीजों को संरक्षित करना क्यों जरूरी है. इसके साथ ही बीज संरक्षण को लेकर सरकार से भी मदद की मांग की गई है. ताकि इन बीजों को आगे आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके और प्रदेश के कृषि क्षेत्र को विकसित किया जा सके.