पंजाब में फसल डाइवर्सिटी बढ़ाने और किसानों की आमदनी सुधारने के लिए कृषि विभाग ने अभियान तेज कर दिया है. इस अभियान के तहत जालंधर जिले में किसानों को मक्का की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. साथ ही किसानों को उन्नत किस्म के बीज, सब्सिडी और तकनीकी मदद उपलब्ध कराई जा रही है. विभाग ने 1,500 हेक्टेयर में खरीफ मक्का की खेती का लक्ष्य रखा है, जिसमें से अब तक लगभग 400 हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है.
अधिकारियों के अनुसार, मक्का की खेती को बढ़ावा देने का मकसद पानी की बचत, मिट्टी की सेहत सुधारना और किसानों को बेहतर लाभ देना है. ऐसे भी मक्का एक जल-प्रभावी और पूरी तरह मशीनों से की जाने वाली फसल है. इसमें ज्यादा मजदूरी की जरूरत नहीं होती. एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी ने कहा कि इस साल पहली बार सरकार इसका एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) भी दे रही है. मौजूदा मौसम के हिसाब से यह एक आदर्श फसल है.
किसान मित्र देंगे अन्नदाता को ट्रेनिंग
अधिकारी ने कहा कि प्रचार-प्रसार के लिए विभाग ने 25 प्रगतिशील किसानों को ट्रेंड कर ‘किसान मित्र’ नियुक्त किया है. ये किसान मित्र अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को मक्का की खेती अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रशिक्षित किसान मैदानी प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे. वे अपने अनुभव और तकनीकी जानकारी साझा करके अन्य किसानों का भरोसा बढ़ाएंगे. साथ ही लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है. उन्नत किस्म के बीज दे रहा है और सब्सिडी व तकनीकी मदद भी उपलब्ध करवा रहा है.
परंपरागत फसलों पर किसानों को ज्यादा भरोसा
हालांकि अभियान जारी है, लेकिन कुछ चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं. अनियमित बारिश और परंपरागत फसलों से हटकर मक्का अपनाने में किसानों की हिचकिचाहट बड़ी रुकावट है. फिर भी करीब 1,100 हेक्टेयर में खेती करनी बाकी है. मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. रणधीर सिंह ठाकुर ने कहा कि विभाग को भरोसा है कि आने वाले हफ्तों में और किसान मक्का की ओर बढ़ेंगे और हम लक्ष्य हासिल कर लेंगे. जो किसान मक्का की खेती अपनाना चाहते हैं, वे मदद और जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विस्तार कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. अब तक विभाग की ओर से 200 से ज्यादा कैंप लगाए जा चुके हैं.
जिले में 25,000 हेक्टेयर में मक्का की खेती
हालांकि, वसंत (स्प्रिंग) मक्का की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है, जो कृषि विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बन गया है. यह फसल बहुत ज्यादा पानी की खपत करती है. जालंधर जिले में 2020-21 में जहां 9,000 हेक्टेयर में वसंत मक्का की खेती होती थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर करीब 25,000 हेक्टेयर तक पहुंच गई है. पानी की ज्यादा खपत के कारण कृषि विभाग और पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी इस फसल की सिफारिश नहीं करते. शाहकोट (जालंधर) और दोना (कपूरथला) क्षेत्र के कई किसान, जो पहले खरबूजा उगाते थे, अब मक्का की खेती की ओर मुड़ चुके हैं.