अरहर की बेहतरीन किस्म विकसित.. 4 महीने में तैयार हो जाएगी फसल, उपज भी पहले से ज्यादा

ICRISAT ने अरहर की एक नई किस्म विकसित की है जो 45 डिग्री तक गर्मी सहन कर सकती है और पैदावार को दोगुना कर सकती है. यह किस्म स्पीड ब्रीडिंग तकनीक से बनी है और अब गर्मियों में भी कम पानी में उगाई जा सकेगी.

नोएडा | Updated On: 10 Jun, 2025 | 01:58 PM

भारत में दालों की कमी को दूर करने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है. इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) के वैज्ञानिकों ने अरहर की एक नई किस्म विकसित की है, जो 45 डिग्री सेल्सियस तक की तेज गर्मी को भी सहन कर सकती है. इस खासियत की वजह से अब उन 1.2 करोड़ हेक्टेयर खेतों में भी रबी सीजन में अरहर की फसल उगाई जा सकेगी, जहां अभी सिर्फ खरीफ में धान की खेती होती है और उसके बाद खेत खाली छोड़ दिए जाते हैं, क्योंकि पानी नहीं होता और तापमान बहुत ज्यादा होता है.

यह नई किस्म सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अफ्रीका और अन्य देशों के किसानों के लिए भी फायदेमंद होगी, जहां अरहर दाल की भारी कमी है. वैज्ञानिकों ने इस किस्म को तैयार करने के लिए ‘स्पीड ब्रीडिंग’ नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे फसल की चार पीढ़ियां एक साल में उगाई जा सकीं. इससे नई किस्म तैयार करने में लगने वाला समय 15 साल से घटकर सिर्फ 5 साल रह गया.

अरहर आयात में आएगी कमी

भारत में फिलहाल हर साल करीब 35 लाख टन अरहर का उत्पादन होता है, जबकि देश की जरूरत 50 लाख टन है. इस कमी को पूरा करने के लिए हर साल करीब 800 मिलियन डॉलर की दाल आयात करनी पड़ती है. ICRISAT के महानिदेशक हिमांशु पाठक का कहना है कि नई किस्म ICPV 25444 न सिर्फ तेज गर्मी (फूल आने के 40 दिनों के दौरान) को सहन कर सकती है, बल्कि किसानों की पैदावार भी लगभग दोगुनी कर सकती है. यानी अबर अरहल की उपज 1.1 से 1.2 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर अब 2 टन प्रति हेक्टेयर तक हो जाएगी.

गर्मी के मौसम में होगी अरहर की खेती

उन्होंने कहा कि यह किस्म गर्मियों में अरहर दाल उगाने की बड़ी रुकावट को दूर होगी. अब किसान देश के कई हिस्सों में गर्मियों में भी इसकी खेती कर सकेंगे. इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है और इसकी फसल सिर्फ 4 महीने में तैयार हो जाती है, जबकि पहले इसमें 6-7 महीने लगते थे.

इन राज्यों में हुआ सफल परीक्षण

नई अरहर दाल किस्म की एक और खासियत यह है कि इसकी फसल एक जैसी ऊंचाई पर उगती है, जबकि पारंपरिक किस्मों में पौधे अलग-अलग ऊंचाई के होते हैं, जिससे मशीन से कटाई करना मुश्किल हो जाता है. ICRISAT के निदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि यह हीट-टॉलरेंट (गर्मी सहन करने वाली) और फोटो व थर्मो-इन्सेंसिटिव किस्म कर्नाटक, ओडिशा और तेलंगाना में सफलतापूर्वक टेस्ट की जा चुकी है.

जलवायु चुनौतियों से निपटने मिलेगी मदद

हिमांशु पाठक ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने तूर दाल को हर मौसम में उगाई जा सकने वाली फसल बनाकर एक ऐसा समाधान दिया है, जो देश में दाल की कमी और किसानों द्वारा झेली जा रही जलवायु चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है.

4 महीने में तैयार हो जाएगी फसल

ICRISAT में अरहर दाल ब्रीडिंग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रकाश गंगशेट्टी ने का कि इस खास प्रोटोकॉल को एक साल में विकसित किया गया. इसका उद्देश्य फसल सुधार की प्रक्रिया को तेज करना था. इसके जरिए नई उन्नत किस्म को रजिस्ट्रेशन ट्रायल के लिए तैयार करने में लगने वाला समय घटाकर सिर्फ 3-4 साल कर दिया गया है.

Published: 10 Jun, 2025 | 01:43 PM