भारत के खेतों से इस बार एक राहत भरी खबर आई है. गर्मी के इस मौसम में किसान जहां आमतौर पर कई चुनौतियों से जूझते हैं, वहीं इस साल जायद फसलों की बुवाई ने एक नया उत्साह पैदा किया है. कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इस बार 9 मई 2025 तक जायद फसलों की बुवाई में पिछले साल की तुलना में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि देश में अनाज और अन्य फसलों का उत्पादन इस सीजन में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है.
मौसम और सिंचाई ने दी मजबूती
जायद फसलें गर्मी के मौसम में बोई जाती हैं, यानी रबी फसल की कटाई के बाद और खरीफ फसल की बुवाई से पहले. इन फसलों को बढ़ने के लिए सही समय पर पानी और तापमान की जरूरत होती है. इस साल गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सिंचाई के अच्छे इंतजाम और मौसम का सहयोग किसानों के पक्ष में रहा. इन वजहों से देश भर में अधिक रकबे में फसलें बोई गई हैं.
आंकड़ों से समझें बुवाई में बढ़त
कृषि मंत्रालय के अनुसार, अब तक 78.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जायद फसलों की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 71.94 लाख हेक्टेयर था. ये आंकड़े बताते हैं कि किसानों का रुझान जायद सीजन में बढ़ा है और इस बार उन्हें बेहतर फसल की उम्मीद है.
धान की बुवाई इस साल सबसे अधिक देखने को मिली है. 9 मई 2025 तक धान का रकबा 32.02 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत अधिक है. पिछले वर्षों में यह आंकड़ा सामान्यतः 30.80 लाख हेक्टेयर के आसपास रहता था. इसी तरह, मक्का का रकबा 7.37 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.89 लाख हेक्टेयर हो गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम इसी तरह अनुकूल बना रहा, तो धान और मक्का दोनों का उत्पादन इस बार रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है.
दलहन और तिलहन फसलों में भी दिखा सुधार
जायद फसलों में दलहनों की भूमिका काफी अहम होती है. इस साल दलहन फसलों का कुल रकबा 22.70 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जो कि 1.5 प्रतिशत की बढ़त है. मूंग की बुवाई में विशेष रूप से वृद्धि देखी गई है, जो 18.44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.45 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. उड़द की बुवाई में भी हल्की बढ़त हुई है.
तिलहन फसलों की बात करें तो मूंगफली का रकबा 4.11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.31 लाख हेक्टेयर हो गया है. सूरजमुखी और तिल की बुवाई में भी बढ़त दर्ज की गई है. हालांकि कुछ अन्य तिलहनों का रकबा थोड़ा घटा है, फिर भी कुल मिलाकर यह एक सकारात्मक संकेत है.
मोटे अनाजों की बुवाई में सुधार
सरकार द्वारा श्री अन्ना (मोटे अनाज) को बढ़ावा देने की नीति का असर भी अब जमीन पर दिखने लगा है. इस बार इन फसलों का रकबा 12.95 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 14.59 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. बाजरा जैसे फसलों की बुवाई में भी लगभग 1 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है.
किसानों के लिए उम्मीदों का मौसम
जायद फसलों की बुवाई में इस तरह की बढ़त ना सिर्फ खेती की स्थिति में सुधार का संकेत है, बल्कि यह किसानों के आत्मविश्वास को भी दर्शाता है. मौसम अगर इसी तरह अनुकूल बना रहा, तो देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा.