40 लाख किसानों को होगा फायदा, सरकार ने जूट का MSP बढ़ाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) की बैठक में जूट किसानों को राहत देने के लिए एमएसपी में बढ़ोत्तरी को मंजूरी दी गई है. सरकार का कहना है कि नया दाम जूट की उत्पादन लागत से करीब 66.8 फीसदी अधिक रिटर्न सुनिश्चित करेगा.

नई दिल्ली | Updated On: 14 May, 2025 | 12:55 PM

देश के लाखों जूट किसानों के लिए यह एक राहत भरी खबर है. केंद्र सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट (Raw Jute) का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है, जो 1 जुलाई से शुरू हो रहे नए फसल सीजन के साथ लागू हो जाएगा. इसके साथ ही किसानों को जूट का एमएसपी प्रति क्विंटल ₹5650 मिलेगा, जो पिछले सीजन की तुलना में ₹315 ज्यादा है. जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (JCI) ने कहा है कि 1 जुलाई से नए जूट 2025-26 सीजन की शुरुआत हो रही है. नई कीमतों से किसानों को फायदा पहुंचेगा.

दरअसल, यह फैसला इस साल के शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) की बैठक में लिया गया था. सरकार का कहना था कि यह मूल्य जूट की उत्पादन लागत से करीब 66.8 फीसदी अधिक रिटर्न सुनिश्चित करेगा. इससे किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम मिलेगा और उन्हें औने-पौने दामों पर जूट बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी.

MSP में बढ़ोतरी का कारण

सरकार ने 2018-19 के बजट में वादा किया था कि सभी फसलों का MSP उत्पादन लागत से कम से कम 1.5 गुना रखा जाएगा. यह नया MSP उसी दिशा में एक ठोस कदम है. बता दें कि 2014-15 में जहां जूट का MSP ₹2400 प्रति क्विंटल था, वहीं अब यह बढ़कर ₹5650 हो गया है. यानी बीते 10 सालों में कीमतों में ₹3250 की बढ़ोतरी हुई है जो करीब 2.35 गुना है.

2014 से अब तक MSP में 2.35 गुना बढ़ोतरी

  • सरकार ने 2014-15 में कच्चे जूट का MSP ₹2400 प्रति क्विंटल तय किया था, जो अब 2025-26 में ₹5650 हो गया है. यानी कुल ₹3250 प्रति क्विंटल या 2.35 गुना की बढ़ोतरी हुई है.
  • 2014 से 2024 तक जूट किसानों को कुल ₹1300 करोड़ MSP के रूप में दिए गए हैं, जबकि 2004-2013 के बीच यह राशि केवल ₹441 करोड़ थी.

क्या मायने रखता है ये फैसला?

भारत में करीब 40 लाख परिवार सीधे या परोक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर हैं, जो इस उद्योग के महत्त्व को साबित करता है. जूट उत्पादन में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है, जहां 82 फीसदी किसान जूट की खेती करते हैं. इसके अलावा, असम और बिहार में भी 9-9 फीसदी हिस्सेदारी है. जूट मिलों और व्यापार में लगभग 4 लाख लोग सीधे रोजगार पाते हैं, जो इस क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है.

किसानों से अनलिमिटेड जूट खरीदेगी सरकार

पिछले साल सरकार ने किसानों से 5.05 लाख क्विंटल जूट खरीदा था, जिस पर ₹252.38 करोड़ खर्च किए गए थे. इस साल भी अधिकारियों ने कहा है कि अगर किसानों को खुले बाजार में MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से कम दाम मिलते हैं, तो सरकार जितना भी जूट किसान बेचेंगे, उतना खरीदने को तैयार है. इससे किसानों को फसल का सही दाम मिल सकेगा.

जलवायु परिवर्तन का असर

जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (JCI) के प्रमुख अजय कुमार जॉली ने बताया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पिछले कुछ सालों में जूट की खेती पर असर पड़ा है. अब किसानों को बीज पहले बोना पड़ता है और चक्रवात भी खेती में रुकावट बनते हैं. फिर भी, उन्होंने कहा कि जूट की खेती जमीन को उपजाऊ बनाती है, जिससे किसान दूसरी फसलें भी बेहतर तरीके से उगा सकते हैं.

जॉली ने यह भी बताया कि हर हेक्टेयर जूट की खेती 15 टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखती है और 10 टन से ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ती है, जो पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा है.

सरकार की अपील

जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (JCI), जो केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी है, किसानों से जूट की खरीद MSP पर करेगी. सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर खरीदारी में कोई घाटा होता है तो वह उसकी भरपाई करेगी. JCI ने किसानों से अपील की है कि वे किसी भी हाल में बिचौलियों के झांसे में आकर अपनी फसल MSP से कम दाम पर न बेचें. सरकारी अधिकारियों ने यह भी कहा कि जूट की कमी की जो खबरें फैलाई जा रही हैं, वो झूठी हैं. ये अफवाहें सिर्फ दाम को जबरदस्ती बढ़ाने के लिए फैलाई जा रही हैं. सरकार इन पर नजर रखे हुए है.

Published: 14 May, 2025 | 11:47 AM