पान भारत की परंपरा, पूजा-पाठ और आतिथ्य का अहम हिस्सा है. इसकी सुगंधित हरी पत्तियां न सिर्फ चबाने में उपयोगी हैं, बल्कि कई घरेलू नुस्खों में भी काम आती हैं. लेकिन जिन किसानों या बागवानों ने पान की खेती शुरू की है, उन्हें एक रोग बहुत परेशान करता है-लीफ स्पॉट.
यह बीमारी अगर समय रहते नहीं रोकी गई, तो पत्तों का रंग पीला पड़ने लगता है, पत्ते झड़ने लगते हैं और पौधा धीरे-धीरे कमजोर होकर सूखने लगता है. पर घबराने की जरूरत नहीं है. थोड़ी सावधानी और कुछ आसान उपाय अपनाकर आप अपने पान के पौधों को इस रोग से बचा सकते हैं और अच्छी उपज पा सकते हैं.
लीफ स्पॉट क्या है?
लीफ स्पॉट एक फफूंद जनित रोग है, जिसमें पान के पत्तों पर छोटे-छोटे गहरे रंग के गोल धब्बे बन जाते हैं. ये धब्बे बाद में बड़े होकर पत्ते को पीला और मुरझाया बना देते हैं. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो ये रोग पूरे खेत में फैल सकता है.
बचाव और नियंत्रण के घरेलू तरीके:
1. पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें
पान के पौधों को बहुत पास-पास न लगाएं. कम से कम 1 से 2 फीट की दूरी रखें ताकि हवा ठीक से चल सके और पत्तों पर नमी न जमे. नमी ही फफूंदी को बढ़ावा देती है.
2. पानी सुबह-सुबह दें
पान के पौधों को जरूरत से ज्यादा पानी न दें. कोशिश करें कि पानी सुबह के समय दें, ताकि दिन में पत्ते सूख जाएं और नमी से फफूंद न पनपे. पत्तों को ऊपर से पानी देना टालें, सिर्फ जड़ में पानी दें.
3. रोगी पत्तों को हटा दें
अगर किसी पत्ते पर दाग या पीलेपन के लक्षण दिखें तो उसे तुरंत काटकर नष्ट कर दें. इससे बीमारी और पौधों तक नहीं फैलेगी.
4. जैविक या रासायनिक फफूंदनाशक का छिड़काव करें
अगर रोग फैल चुका है तो जैविक फफूंदनाशक (जैसे ट्राइकोडर्मा) या मान्य रासायनिक फफूंदनाशक (जैसे मैनकोजेब, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड) का छिड़काव करें. लेकिन छिड़काव से पहले लेबल पर लिखी मात्रा और समय का पालन जरूर करें.
5. पौधों के नीचे जैविक मल्च बिछाएं
पौधों की जड़ों के पास सूखी पत्तियां या गोबर की खाद बिछाने से मिट्टी की नमी बनी रहती है और साथ ही मिट्टी से रोगजनक फफूंद पत्तों पर नहीं चढ़ती.
नियमित निगरानी है जरूरी
हर 2-3 दिन में पान के पौधों का निरीक्षण करें. शुरुआती लक्षणों को पहचान कर तुरंत उपचार करें, ताकि पूरा खेत प्रभावित न हो.