गर्मी के मौसम में जैसे इंसानों को लू और तेज धूप परेशान करती है, वैसे ही गाय-भैंस जैसे पशु भी इससे काफी प्रभावित होते हैं. अगर समय रहते उनकी सही देखभाल न की जाए तो दूध उत्पादन घट सकता है, बीमारी का खतरा बढ़ सकता है और उनका जीवन भी संकट में पड़ सकता है. ऐसे में पशुपालकों को कुछ अहम बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
1. पशुओं के लिए पर्याप्त जगह
पशुओं को रखने की जगह तंग नहीं होनी चाहिए. हर पशु को आराम से बैठने और घूमने के लिए खुला स्थान मिलना जरूरी है. सामान्य रूप से एक गाय को 4-5 वर्गमीटर और एक भैंस को 7-8 वर्गमीटर का जगह मिलना चाहिए.
2. ठंडा पानी और नहलाने की सही व्यवस्था
गर्मी में पशुओं को दिन में दो से तीन बार ठंडे पानी से नहलाना चाहिए या उनके शरीर पर पानी छिड़कना चाहिए. यह उनके शरीर का तापमान कम करता है और उनके स्वास्थ्य व प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक असर डालता है. अगर तालाब की सुविधा हो तो भैंस को तालाब में जरूर नहलाएं. ध्यान देने की बात यह है कि पीने के पानी की टंकी पर छाया होना जरूरी है ताकि पानी गर्म न हो.
3. भोजन में रखें सावधानी
गर्मी के मौसम में पशुओं को संतुलित और पोषक आहार देना बहुत जरूरी होता है. एक्सपर्टों की माने तो उनके आहार में चारा और दाने का अनुपात 40:60 होना चाहिए. खासतौर पर हरे चारे की मात्रा इस मौसम में बढ़ा देनी चाहिए, ताकि शरीर का तापमान संतुलित बना रहे. साथ ही, इलेक्ट्राल एनर्जी भी देना जरूरी है, बड़े पशुओं को रोजाना 50 से 60 ग्राम और छोटे पशुओं को 10 से 15 ग्राम इलेक्ट्राल एनर्जी जरूर दें. ध्यान रखें कि गर्मियों में ज्वार जैसी कुछ फसलें जहरीली हो सकती हैं, इसलिए इन्हें तीन-चार बार पानी देने के बाद ही खिलाना सुरक्षित होता है. इसके अलावा, रसोई का बचा हुआ खाना, बासी भोजन या ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाला आहार जैसे आटा, रोटी या चावल पशुओं को कभी न दें, क्योंकि ये उनके पाचन और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं.
4. बरसात से पहले करा लें टीकाकरण
गर्मी के मौसम में पशुओं को गलाघोंटू, खुरपका-मुंहपका और लंगड़ी बुखार जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराना जरूरी है. यह न सिर्फ उनकी सेहत को सुरक्षित रखता है, बल्कि बरसात के दौरान होने वाली बीमारियों से भी उन्हें बचाता है. सावधानी से किया गया टीकाकरण बड़ी हानि से बचा सकता है.
5. पशुशाला को रखें ठंडा और हवादार
गर्मी से बचाने के लिए पशुशाला की छत ऐसी होनी चाहिए जो तेज धूप को अंदर न आने दे. अगर संभव हो तो छत पर मोटी चादर के ऊपर 4 से 6 इंच घास-फूस की परत बिछा दें, ताकि अंदर का तापमान ठंडा बना रहे. खिड़की और दरवाजों पर बोरी या टाट लगाकर पानी का छिड़काव करें. शेड बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि छत की ऊंचाई कम से कम 10 फीट हो, ताकि हवा का अच्छा संचार बना रहे और पशुओं को राहत मिले.