राजस्थान में ऊंट पालन किसानों के लिए अब मुनाफे का सुनहरा मौका बन गया है. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस क्षेत्र में काम कर रहे किसानों को आर्थिक मदद और भारी सब्सिडी दे रही हैं. जहां किसान अपने खर्च का आधा हिस्सा सरकार से सहायता के रूप में पा रहे हैं, वहीं ऊंटनी के दूध, बच्चे और अन्य उत्पादों से उनकी आमदनी भी अच्छी बढ़ रही है. इस सरकारी सहयोग के कारण ऊंट पालन अब फायदे का व्यवसाय बन चुका है.
केंद्र-राज्य सरकार से आर्थिक सहारा
राजस्थान सरकार ऊंट पालकों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है. जब ऊंटनी बच्चे को जन्म देती है तो सरकार पालक को दो किश्तों में कुल 10 हजार रुपये देती है. इसके अलावा, केंद्र सरकार की ‘नेशनल लाइवस्टॉक मिशन’ (राष्ट्रीय पशुधन मिशन) योजना के तहत ऊंट फार्म बनाने के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दी जाती है. इसका मतलब है कि यदि कोई किसान ऊंट पालन पर 1 लाख रुपये खर्च करता है तो सरकार उससे 50 हजार रुपये तक की सहायता कर सकती है.
ऊंटनी के दूध से बढ़िया आमदनी
ऊंटनी का दूध बाजार में औसतन 250 से 300 रुपये प्रति लीटर के भाव से बिकता है. राजस्थान में नवंबर 2024 के दौरान पुष्कर में लगे मेले में आए ऊंट व्यापारियों का कहना था कि एक ऊंटनी रोजाना औसतन 5 लीटर तक दूध देती है. अगर 250 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से देखें तो एक दिन में ऊंटनी के दूध से पशुपालक की कमाई करीब 1250 रुपये हो सकती है. महीने भर की कमाई लगभग 40 से 50 हजार रुपये तक पहुंच जाती है. यानी सालाना एक ऊंटनी से लगभग 6 लाख रुपये तक की आय हो सकती है. इसके अलावा ऊंट के बाल और चमड़े से भी अतिरिक्त कमाई संभव है, जबकि ऊंट का बच्चा भी पशुपालक के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति माना जाता है.
ऊंटनी के दूध में अनोखे गुण
हेल्थ एक्सपर्टों की माने तो ऊंटनी के दूध में विटामिन्स, मिनरल्स और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं. यह दूध डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता हैॉ. साथ ही ऑटिज्म और इम्यूनिटी बढ़ाने में भी इसका प्रभाव वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है. इस वजह से शहरी इलाकों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
बेचने पर कानूनी पाबंदी
ऊंटों को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने और बेचने पर कुछ कानूनी पाबंदियां होती हैं. इसलिए ऊंट पालन शुरू करने से पहले सरकारी पशु चिकित्सा विभाग या पशु केंद्र से ट्रेनिंग लेना जरूरी है. इससे पालकों को सही ज्ञान मिलता है और वे कानूनी नियमों का पालन भी कर सकते हैं.