धान खरीद नीति के खिलाफ किसानों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे उन्नदाता..जानें क्या है पूरा मामला

ओडिशा के बरगढ़ जिले में खरीफ धान खरीद की नई रजिस्ट्रेशन नीति के खिलाफ किसानों का विरोध तेज हो गया है. किसानों ने इसे जटिल और असल किसानों के लिए अव्यवहारिक बताया.

नोएडा | Published: 23 Jul, 2025 | 04:21 PM

ओडिशा के बरगढ़ जिले में खरीफ धान खरीद के लिए लागू की नई रजिस्ट्रेशन नीति के खिलाफ किसानों का विरोध तेज हो गया है. मंगलवार को जिले के सभी 11 ब्लॉकों में किसानों ने तहसील कार्यालयों में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. यह प्रदर्शन संयुक्त कृषक संगठन के नेतृत्व में किया गया, जिससे किसानों की बढ़ती नाराजगी साफ झलक रही है. इससे पहले सोमवार को किसान संगठन ने बरगढ़ कलेक्टर आदित्य गोयल को ज्ञापन देकर नई गाइडलाइंस पर चिंता जताई थी. साथ ही किसानों ने कहा है कि अगर सरकार ने नीति नहीं बदली तो आंदोलन भी करेंगे.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नए नियमों के तहत जिन किसानों ने पिछले साल धान बेचा था, उन्हें इस साल 19 जुलाई से 20 अगस्त के बीच फिर से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, तभी वे सरकार को धान बेच पाएंगे. किसानों ने कहा कि जिनके पास वैध जमीन रिकॉर्ड है, वे तो आसानी से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, लेकिन दिक्कत उन मामलों में है जहां असली जमीन मालिक की मृत्यु हो चुकी है. अब ऐसे मामलों में कानूनी वारिसों को राजस्व निरीक्षक से पारिवारिक वंशवृक्ष प्रमाण पत्र लाना होगा, जिसमें सभी पुरुष और महिला सदस्यों के बराबर हक को दिखाना जरूरी है.

70 से 80 फीसदी किसान इस धान प्रक्रिया से रह जाएंगे वंचित

इसके अलावा, हर हिस्सेदार को सोसाइटी ऑफिस जाकर बायोमेट्रिक और आईरिस स्कैन देना होगा और उनके मोबाइल पर भेजे गए OTP को भी वेरीफाई करना होगा. संयुक्त कृषक संगठन ने आरोप लगाया है कि नई रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की वजह से बड़ी संख्या में असली किसान, खासकर बुजुर्ग और संयुक्त भूमि मालिक, धान खरीद प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं. संगठन का कहना है कि जिले के करीब 70 से 80 फीसदी किसान इस प्रक्रिया से वंचित रह जाएंगे, जिससे वे बिचौलियों पर निर्भर हो जाएंगे और शोषण का शिकार बन सकते हैं.

बायोमेट्रिक और OTP सत्यापन की उम्मीद करना अव्यवहारिक

संगठन के सलाहकार रमेश महापात्रा ने कहा कि यह नीति कागजों पर भले ही व्यवस्थित लगे, लेकिन जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग है. बुजुर्ग किसानों या संयुक्त जमीन के मालिकों से बायोमेट्रिक और OTP सत्यापन की उम्मीद करना अव्यवहारिक है. इस सिस्टम को किसानों की आजीविका बचाने के लिए सरल बनाना होगा. किसानों ने दोहराया कि हर साल दोबारा रजिस्ट्रेशन की जगह एक स्थाई रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें समय-समय पर जानकारी अपडेट हो सके. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज किया जाएगा.