हर फल का एक ऐसा समय होता है जब वह खुद कहता है कि अब मैं तैयार हूं. लीची के लिए वो समय होता है कलर ब्रेक. यह वही क्षण होता है जब हरे लीची पर गुलाबी, लाल या पीले रंग की छाया उतरने लगती है. यानी फल अब पकने को तैयार है और किसान के लिए तुड़ाई का सही समय आ गया है. इस अवस्था को सफल बनाने में तीन चीजें सबसे ज्यादा अहम हैं. पहला पौधों को समय पर उचित पोषण देना, दूसरा पर्याप्त सिंचाई सुनिश्चित करना, तीसरा किस्म विशेष की पहचान करना. लीची की किस्में भी कलर ब्रेक की प्रक्रिया और उसकी स्पष्टता को सीधे प्रभावित करती हैं.
लीची की तुड़ाई के लिए सही समय
डॉ. एस.के. सिंह, जो डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (बिहार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक और गोरौल, हाजीपुर के केला अनुसंधान केंद्र के प्रमुख हैं, बताते हैं कि कलर ब्रेक लीची की तुड़ाई, गुणवत्ता और बाजार मूल्य का सबसे निर्णायक चरण है. लीची के फलों में ‘कलर ब्रेक’ वह अवस्था है जो न सिर्फ इसके स्वाद, मिठास और बनावट को दर्शाती है, बल्कि बाजार में उसकी कीमत भी तय करती है. यह परिवर्तन धीरे-धीरे शुरू होता है, जिसमें पहले हल्के गुलाबी या लाल धब्बे फल के छिलके पर दिखते हैं, जो धीरे-धीरे पूरे फल पर फैल जाते हैं.
इस अवस्था में लीची के अंदर शर्करा की मात्रा तेजी से बढ़ती है और अम्लता घटती है, जिससे फल अधिक मीठा, रसीला और सुगंधित बनता है. यही वह समय होता है जब लीची को तोड़कर बाजार में भेजा जाना चाहिए. देरी करने पर फल फट सकते हैं या अधिक पक कर खराब हो सकते हैं.
वैज्ञानिक सलाह पर टिकी किसान की कमाई
कलर ब्रेक प्रक्रिया पर मौसम का सीधा प्रभाव पड़ता है. गर्मी, आर्द्रता और धूप की तीव्रता अगर अनुकूल हो तो यह प्रक्रिया तेज होती है. यही कारण है कि मौसम की सटीक निगरानी और वैज्ञानिक सलाह पर किसान की कमाई टिकी होती है.
नियमित और संतुलित सिंचाई की आवश्कता
कलर ब्रेक स्टेज पर लीची के पौधे सबसे संवेदनशील अवस्था में होते हैं. इस समय उन्हें नियमित और संतुलित सिंचाई के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की भरपूर आवश्यकता होती है. खासतौर पर बोरॉन, कैल्शियम, जिंक जैसे तत्व रंग परिवर्तन और शर्करा संचयन को सुचारु करते हैं. यदि इस चरण में पौधे को जलसंकट या पोषण की कमी हो जाए तो फल का विकास रुक सकता है या रंग मद्धम रह सकता है, जिससे बाजार में मूल्य घट जाता है.
किस्म की छाप
लीची की विभिन्न किस्में इस रंग परिवर्तन को अलग-अलग तरीके से दर्शाती हैं. उदाहरण के तौर पर, ‘शाही लीची’ और ‘चाइना लीची’ जैसी उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों में कलर ब्रेक ज्यादा साफ रूप से दिखाई देता है. ये रंग न केवल आकर्षक होते हैं, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता का संकेत भी बनते हैं. यही वजह है कि कलर ब्रेक इन किस्मों के ब्रांड वैल्यू और विपणन रणनीति का अहम हिस्सा है.