पशुधन सुरक्षा के लिए तीन मजबूत कदम, जो जानवरों की देखभाल का बदल देंगे तरीका

केंद्र सरकार की पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना (LHDCP) के तहत पशुपालकों को टीकाकरण, गांव-गांव इलाज और सस्ती दवाइयों की सुविधा मिलेगी. इससे पशु स्वस्थ होंगे और किसानों को आर्थिक और मानसिक संबल मिलेगा.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 10 Jun, 2025 | 09:45 PM

पशुपालन करने वाले किसानों को अकसर अपने जानवरों की बीमारी, इलाज की कमी और महंगी दवाइयों से जूझना पड़ता है. इसी परेशानी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना (LHDCP) के तहत तीन बड़े कदम उठाए हैं, जो न केवल बीमारियों को जड़ से मिटाएंगे, बल्कि इलाज को गांव-गांव तक पहुंचाएंगे और दवाइयों को भी सस्ता और सुलभ बनाएंगे. इन पहलों से पशुपालन का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा और किसानों को राहत और आय दोनों मिलेगी.

1. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)

इस योजना के तहत सरकार खुरपका और मुंहपका (FMD) जैसी खतरनाक बीमारियों को रोकने के लिए मवेशियों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों और सूअरों का बड़े पैमाने पर टीकाकरण करवा रही है. साथ ही, गाय और भैंसों में फैलने वाली ब्रुसेलोसिस बीमारी पर भी नियंत्रण किया जा रहा है. इसका फायदा ये होगा कि झुंड में रोग फैलने की संभावना घटेगी और किसान के पशु स्वस्थ रहेंगे.

2.पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (LH&DC)

इस योजना के तहत न सिर्फ गंभीर बीमारियों पर काबू पाया जाएगा, बल्कि मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (MVU) के जरिए गांव-गांव तक इलाज पहुंचाया जाएगा. इस योजना से किसान अब सिर्फ 1962 नंबर डायल कर घर बैठे पशु चिकित्सक की मदद पा सकेंगे. इसके अलावा, केंद्र सरकार राज्यों को आर्थिक मदद भी दे रही है ताकि वे बीमारी की जांच, रोकथाम और मुआवजा वितरण की व्यवस्था मजबूत कर सकें.

3. पशु औषधि

इस योजना के तीसरे हिस्से में सस्ती जेनेरिक और पारंपरिक पशु दवाइयों को पीएम-किसान समृद्धि केंद्रों और सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाएगा. इससे इलाज के लिए बाजार की महंगी दवाइयों पर निर्भरता कम होगी और जरूरतमंद किसान कम खर्च में भी सही इलाज करवा सकेंगे.

पशुपालकों को मिलेगा आर्थिक सहारा और मानसिक राहत

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना (LHDCP) के तीनों हिस्से मिलकर किसानों को सुरक्षित, सस्ता और सुलभ समाधान दे रहे हैं. इससे पशुओं को समय पर इलाज और दवा मिल पाएगी, जिससे उनकी मौत के मामले घटेंगे. इसके अलावा, बीमारियों पर नियंत्रण से पशुपालकों की आमदनी में गिरावट नहीं आएगी और इलाज पर खर्च भी कम होगा. इससे उन्हें आर्थिक सहारा और मानसिक शांति मिलेगी और पशुपालन एक फायदे वाला व्यवसाय बनकर उभरेगा.

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