देसी मुर्गी पालन से रोजाना कमाई, जानिए बाड़ा, चारा और टीके का पूरा सिस्टम

देसी मुर्गी पालन कम खर्च में शुरू किया जा सकता है और यह रोजाना कमाई का मजबूत जरिया बन सकता है. इसके लिए मजबूत और सुरक्षित बाड़ा बनाना, संतुलित और पोषक आहार देना और समय पर टीकाकरण कराना जरूरी है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 9 Jun, 2025 | 12:27 PM

गांवों में देसी मुर्गी पालना आम बात है, कई किसान इसे आय का जरिया भी बनाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ये मुर्गी रोज कमाई का जरिया भी बन सकती है? खासकर देसी मुर्गी. इसे पालने में ना तो ज्यादा खर्च आता है और ना ही ज्यादा झंझट होती है. बस थोड़ी सी समझ और सटीक जानकारी होनी चाहिए. इसके लिए बाड़ा बनाना, मुर्गी को सही आहार देना और टीकों की पूरी जानकारी रखना जरूरी हैं. अगर ये तीन चीजें समझ लीं तो कमाई आपकी जेब में तय है.

ऐसे बनाएं मजबूत और सस्ता बाड़ा

देसी मुर्गियों को पूरी तरह खुले में छोड़ना कई बार नुकसानदायक हो सकता है. जानवरों से खतरा, मौसम का असर या अंडों की सुरक्षा इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत, कम लागत वाला बाड़ा बनाना जरूरी है. बाड़ा बनाने के लिए आप बांस, लकड़ी की पट्टियां और प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर 20 मुर्गियों के लिए बाड़ा बनाना है तो इसकी लंबाई करीब 8 से 9 फीट, चौड़ाई 6 से 7 फीट और ऊंचाई 4 फीट रखें. इस बाड़े को जमीन से 2 से 2.5 फीट ऊंचा बनाना चाहिए ताकि अंदर नमी न आए और कीड़े-मकोड़े दूर रहें.

ध्यान रखें कि बाड़े की छत ढलान वाली होनी चाहिए ताकि बारिश का पानी जमा न हो और भीतर सूखापन बना रहे. अंदर रोशनी के लिए एक बल्ब लगाना जरूरी है, क्योंकि मुर्गियां रोशनी में ज्यादा अंडे देती हैं. यही नहीं, बाड़े के अंदर खाने-पीने की चीजें आगे की ओर रखें, जबकि सोने या आराम करने की जगह पीछे की ओर बनाएं. क्योंकि इससे मुर्गियों को एक साफ-सुथरा, सुरक्षित और व्यवस्थित माहौल मिलेगा, जिससे उनकी सेहत और उत्पादकता दोनों में सुधार होगा.

इस तरह से चारा दें

मुर्गी पालन की शुरुआत में पहले 6 हफ्तों तक चूजों को चिक स्टार्टर फीड दें. इसके बाद जब वे थोड़े बड़े हो जाएं तो उन्हें हरा चारा, अंकुरित अनाज, अजोला, सहजन या शहतूत की पत्तियां खिलाएं. क्योंकि ये सभी चीजें सस्ते और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं. इसके अलावा, रसोई का बचा खाना, सब्जियों के छिलके, सरसों की खली, टूटा चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि भी दिया जा सकता है. इतना ही नहीं, बरसात और फसल कटाई के समय मुर्गियां खेतों से कीड़े भी खा लेती हैं.

घरेलू फीड फॉर्मूला इस तरह तैयार करें

  • 50 प्रतिशत अनाज (मक्का, बाजरा, टूटा चावल)
  • 28 प्रतिशत भूसी (चावल या गेहूं की)
  • 20 प्रतिशत खल्ली (सोयाबीन, सरसों, मूंगफली की)
  • 2 प्रतिशत मिनरल व विटामिन मिक्स

टीकाकरण भी है जरूरी

देसी मुर्गियों को भी बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराना जरूरी है. मारेक, रानीखेत और फाउल पॉक्स जैसी बीमारियों से सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन जरूर कराएं. इसके अलावा, हर 2 से 3 महीने में कृमिनाशक दवा भी दें, ताकि आंतों में कीड़े न हों. ध्यान देने कि कोई भी दवा देने से पहले पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

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Published: 9 Jun, 2025 | 12:27 PM

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