पशुपालन विभाग कांगड़ा द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे हिम कुक्कुट पालन, पशु बीमा, टीकाकरण और नस्ल सुधार ने ग्रामीण पशुपालकों को आर्थिक, पोषण और सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है.
बरसात के मौसम में मुर्गी पालन करते समय साफ-सफाई, नमी से बचाव, साफ पानी और सूखा चारा देना बेहद जरूरी है. थोड़ी सी लापरवाही से मुर्गियां बीमार पड़ सकती हैं और उत्पादन में भारी नुकसान हो सकता है.
मुर्गी पालन ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे किसानों के लिए कम लागत में मुनाफे वाला व्यवसाय है. सही नस्ल चुनकर और सरकार की सहायता से किसान अंडों और चिकन से दोगुनी कमाई कर सकते हैं.
कड़कनाथ मुर्गी पालन एक कम लागत वाला और जल्दी मुनाफा देने वाला व्यवसाय है. इसकी अंडों और मांस की ऊंची कीमत के कारण किसान और बेरोजगार इससे सालाना लाखों की कमाई कर सकते हैं. सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है.
असील मुर्गी अपनी मजबूत कद-काठी और खास अंडों के लिए मशहूर है. इसके अंडे 100 रुपये तक बिकते हैं, जिनकी औषधीय मान्यता भी है. सालाना अंडे कम देती है, लेकिन कीमत अधिक होने से किसानों को मुनाफा मिलता है.
शहडोल के किसान कम लागत में वनराजा मुर्गे का पालन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. यह नस्ल अंडा और मांस दोनों के लिए उपयोगी है, पालन में आसान है और कुपोषण से लड़ने में भी मददगार साबित हो रही है.