Pashupaalan: किसान खेती के साथ पशुपालन जोड़कर अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकते हैं. कुछ ऐसे पशु हैं जिनकी बाजार में सालभर मांग रहती है. कम खर्च में शुरू होने वाला यह व्यवसाय किसानों को हर महीने स्थिर और अच्छी कमाई देता है. सही देखभाल और नस्ल चुनकर मुनाफा और भी बढ़ाया जा सकता है.
गांवों में ये देसी मुर्गी पालन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. यह देसी लुक और ज्यादा उत्पादन वाली नस्ल किसानों को कम खर्च में अच्छा मुनाफा देती है. अंडा और मांस दोनों की बढ़ती मांग इसकी कमाई बढ़ा रही है. छोटे स्तर पर शुरू होकर यह बिजनेस अब ग्रामीण आय का मजबूत सहारा बनता जा रहा है.
सर्दियों की ठंड मुर्गियों को तेजी से बीमार कर सकती है. तापमान गिरते ही उनका खाना कम हो जाता है और झुंड में बीमारियां फैलने लगती हैं. ऐसे मौसम में सही तापमान, साफ-सफाई और थोड़ी-सी देखभाल बेहद जरूरी है. जरा-सी गलती पोल्ट्री फार्म को भारी नुकसान पहुंचा सकती है.
बिहार में 2024-25 में दूध, अंडा और मांस उत्पादन में तेज वृद्धि हुई, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है. मत्स्य पालन में भी सुधार हुआ और मछली उत्पादन 9.59 लाख टन तक पहुंचा. हालांकि प्रति व्यक्ति उपलब्धता अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है.
मुर्गी पालन में एक खास देसी चारा किसानों की कमाई तेजी से बढ़ा रहा है. यह तरीका लागत को आधा और अंडा उत्पादन को दोगुना कर रहा है. मुर्गियां तेजी से वजन पकड़ती हैं और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. कम जगह और कम खर्च में यह मॉडल किसानों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है.
सर्दियों में तापमान गिरते ही मुर्गियों की सेहत पर असर पड़ता है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में फार्म को गर्म रखना, साफ-सफाई बनाए रखना और पौष्टिक चारा देना बहुत जरूरी है. सही देखभाल से नुकसान कम होता है और वजन तेजी से बढ़कर मुनाफा भी बढ़ जाता है.