Poultry Farming: मुर्गीपालन करने वालों को अमीर बना सकती हैं मुर्गियों की ये 20 नस्लें, देखें लिस्ट

मुर्गी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है. मुर्गी पालन के लिए विभिन्न नस्लें उपलब्ध हैं. इसके अलावा, सरकार मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी प्रदान कर रही है.

नई दिल्ली | Published: 24 Jul, 2025 | 10:52 PM

मुर्गी पालन यानी पोल्ट्री फार्मिंग एक पुराना और महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है जो आजकल दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है. यह न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है, बल्कि मांस और अंडे के उत्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. मुर्गी पालन से किसान अपने छोटे से व्यवसाय को एक बड़े और लाभकारी उद्योग में बदल सकते हैं. इसके जरिए वे अंडे और मांस के रूप में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है. इसके अलावा, मुर्गी पालन में सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न योजनाओं और सहायता से किसानों को इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने में और भी आसानी हो रही है.

तो वहीं, लेकिन मुर्गी पालन के लिए किसानों को ये समझना जरूरी हैं कि मुर्गियों की कौन सी नस्ल किस उद्देश्य के लिए बेहतर हैं. आमतौर पर मुर्गियों के चयन के लिए तीन प्रकार होते हैं अंडा उत्पादन, मांस उत्पादन और दोहरे उपयोग. आइए, जानते हैं भारत में पाई जाने वाली प्रमुख नस्लें.

मुर्गियों की नस्लें

लेयर ब्रीड्स

ये नस्लें मुख्य रूप से अंडा उत्पादन के लिए पाली जाती हैं. इनसे सालभर में 250 से 300 तक अंडे प्राप्त किए जा सकते हैं.इनमें वाइट लेगहॉर्न सबसे ज्यादा अंडे देने वाली नस्ल हैं. यह मुर्गी सफेद रंग और कम वजन होने के साथ यह कम चारे में भी अधिक अंडे देती है. रोड आयलैंड रेड (RIR)यह नस्ल लाल-भूरे रंग की होती है. गर्म और ठंडे,दोनों तरह के मौसम में आसानी से पाली जा सकती है. तो वहीं, ससेक्स (Sussex) यह नस्ल सफेद और भूरे रंग की होती है. यह ठंडे क्षेत्रों में भी अच्छी तरह अंडे देती है. इस नस्ल के अंडे बड़े होते हैं और इनका रंग हल्का भूरा होता है.

ब्रायलर ब्रीड्स

ब्रायलर नस्लें मुख्य रूप से मांस उत्पादन के लिए पाली जाती हैं. जिनमें कोर्निश क्रॉस (Cornish Cross) सबसे ज्यादा मांस देने वाली नस्ल है. इसकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है और 6-8 हफ्ते में ही ये 2-3 किलो वजन की हो जाती है. वहीं , काली मासी (Kadaknath) भारत की देसी नस्लों में सबसे ज्यादा मशहूर है. इसका मांस काले रंग का होता है और इसमें अधिक प्रोटीन पाया जाता हैं. इसके मांस और अंडे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं. इसके साथ ही कोचीन (Cochin)यह नस्ल बड़े आकार की होती है और भारी वजन की होती हैं.इसके पंख घने होते हैं, जिससे यह ठंडे इलाकों में भी पाली जा सकती है.

दोहरे उपयोग वाली नस्लें (Dual-Purpose Breeds)

ये नस्लें अंडा और मांस, दोनों के लिए अच्छी होती हैं. जिनमें ऑस्ट्रेलॉर्प (Australorp)नस्ल काले रंग की होती है और अच्छी संख्या में अंडे भी देती है. इसके साथ ही इसका मांस भी अच्छा होता है. प्लायमाउथ रॉक (Plymouth Rock) नस्ल अंडे और मांस, दोनों के लिए पालि जा सकती हैं. यह ठंडे इलाकों में भी आसानी से सर्वाइव कर सकती है.

भारत में कुछ देसी और स्थानीय मुर्गी नस्लें, जैसे कड़कनाथ और असील, प्राकृतिक रूप से बीमारियों से लड़ने में सक्षम होती हैं और इनके मांस और अंडों को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. इसके अलावा देश में राज्यों के मुताबिक मुर्गियों की 20 मान्यता प्राप्त नस्लें भी हैं. मुर्गियों की 20 मान्यता प्राप्त नस्लें अंकलेश्वर-गुजरात, अरावली-गुजरात ,असील-छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बुसरा-गुजरात और महाराष्ट्र ,चटगांव-मेघालय और त्रिपुरा ,डंकी-आंध्र प्रदेश, दाओथिगीर- असम, घेगस-आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, हेरिंगहाटा ब्लैक-पश्चिम बंगाल, कड़कनाथ-मध्य प्रदेश, कालहस्ती-आंध्र प्रदेश, कश्मीर फेवरोला-जम्मू और कश्मीर, मीरी-असम, निकोबारी-अंडमान और निकोबार, पंजाब ब्राउन-पंजाब और हरियाणा, तेलीचेरी-केरल, मेवाड़ी-राजस्थान, कौनयेन-मणिपुर, हंसली-ओडिशा

मुर्गीपालन के लिए सरकारी योजनाएं और सब्सिडी

मुर्गी पालन में सरकार की तरफ़ से कई प्रकार की सहायता और सब्सिडी मिल रही हैं, जो किसानों और छोटे व्यवसायियों को इस क्षेत्र में सफल होने के लिए प्रेरित करती हैं. इन योजनाओं के माध्यम से सरकार किसानों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, और तकनीकी मदद प्रदान करती है ताकि वे मुर्गी पालन में बेहतर परिणाम हासिल कर सकें.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NHM)
सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था की है. इस मिशन के तहत किसानों को मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है, ताकि वे उच्च गुणवत्ता की मुर्गियों की नस्लें खरीद सकें और अपने पोल्ट्री फार्म मुर्गी पालन कर सके.

मध्य प्रदेश पोल्ट्री योजना
राज्य सरकारें भी पोल्ट्री पालन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चला रही हैं. जैसे कि मध्य प्रदेश में पोल्ट्री पालन के लिए विशेष योजनाएं हैं, जिसमें किसानों को मुर्गी पालन में निवेश करने पर उचित सब्सिडी प्रदान की जाती है.

सब्सिडी पर प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता
सरकार मुर्गी पालन से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करती है, ताकि किसानों को सही तरीके से मुर्गी पालन करने का तरीका समझाया जा सके. इन कार्यक्रमों में पोल्ट्री फार्म की देखभाल, बायो सिक्योरिटी, खुराक का सही इस्तेमाल, और बीमार मुर्गियों का इलाज जैसी जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही किसानों को नए तकनीकी उपायों की जानकारी भी दी जाती है.