Punjab News: पंजाब के दोआबा क्षेत्र में इस साल खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 55 फीसदी की कमी आई है. सबसे बड़ी गिरावट कपूरथला और जलंधर जिलों में देखी गई है. पूरे दोआबा में पिछले साल पराली जलाने की 580 घटनाएं हुई थीं, जबकि इस साल सिर्फ 258 घटनाएं ही दर्ज हुईं. खास कर जलंधर जिले में धान की कटाई के बाद खेतों में आग की घटनाओं में इस साल 45 फीसदी की कमी आई है. किसानों की इस पहल की सराहना केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी की है.
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है किसानों के नियम पालन, विभाग की जागरूकता मुहिम और किसानों में पराली जलाने के नुकसान के प्रति जागरूकता ने इस कमी में मदद की है. पिछले साल 30 नवंबर तक पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं, जबकि इस साल जलंधर में पराली जालने की आखिरी घटना 26 नवंबर को ही दर्ज की गई. हालांकि, 2023 में जलंधर जिले में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच कुल 1196 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई थीं. जबकि 2024 में इसी अवधि में केवल 157 घटनाएं सामने आई थीं. इस साल धान की कटाई के मौसम में अब तक सिर्फ 86 पराली जलाने के मामले सामने आए.
खेतों में आग की घटनाओं में 61 फीसदी कमी आई
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कपूरथला जिले में इस साल खेतों में आग की घटनाओं में 61 फीसदी कमी आई है. इस साल कपूरथला में 139 घटनाएं हुईं, जबकि पिछले साल 357 और 2023 में 1048 घटनाएं दर्ज हुई थीं. होशियारपुर में 2023 में 118, 2024 में 29 और इस साल 18 घटनाएं हुईं. नवांशहर में 2023 में 238, 2024 में 37 और इस साल सिर्फ 15 घटनाएं सामने आईं.
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी
जलंधर के जिला कृषि अधिकारी जसविंदर सिंह ने कहा कि इस साल किसानों की यूनियनों की सक्रिय भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पिछले साल, किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के कारण यूनियन विरोध करती थी, लेकिन इस साल पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं और यूनियन ने सहयोग किया. विभाग ने कई जागरूकता अभियान और चेकिंग भी की, जिससे किसानों में जागरूकता बढ़ी.
नहीं कम हो रहा प्रदूषण
उन्होंने कहा कि कई किसान जानते हैं कि एफआईआर और लाल एंट्री उनके विदेश जाने और अन्य प्रक्रियाओं में बाधा डाल सकते हैं. जसविंदर सिंह ने कहा कि विभाग किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है और आशा करता है कि खेतों में आग कम होने से कृषि अर्थव्यवस्था और किसानों की आजीविका में सकारात्मक बदलाव आएगा. हालांकि, पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट आने के बाद प्रदूषण कम नहीं हो रहा है.