पंजाब के होशियारपुर जिले में हाल ही में आई भीषण बाढ़ के बाद अब लोग अपने गांव तो लौट आए हैं, लेकिन उनके सामने जिंदगी फिर से पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती खड़ी है. किसी का घर गिर गया, तो किसी की फसलें तबाह हो गईं. खेतों में भारी मात्रा में सिल्ट (कीचड़ और मिट्टी) भर गई है, जिससे किसान अगली फसल बोने के लायक भी नहीं बचे हैं. लोग टूटे मकानों के नीचे टेंट लगाकर रह रहे हैं, तो वहीं सरकार की मदद का इंतजार अब भी जारी है.
गांव लौटे, पर घर नहीं संभले
होशियारपुर के रारा गांव के मंजीत सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि वे करीब दो हफ्ते तक परिवार समेत ट्रैक्टर-ट्रॉली में तंबू लगाकर सड़क किनारे रहे. अब जब वे घर लौटे हैं, तो हालत और भी खराब मिली. घर की दीवारों में दरारें आ गई हैं, पूरी जगह कीचड़ से भरी पड़ी है. छत टपक रही है, इसलिए तिरपाल डालकर काम चला रहे हैं. खेत अब भी पानी में डूबे हैं. मंजीत ने कहा असली मुश्किल तो अब शुरू हुई है. सरकार से उन्हें अब तक कोई ठोस मदद नहीं मिली है. मंजीत जैसे कई परिवार इस वक्त दोहरी मार झेल रहे हैं- एक तरफ घर की मरम्मत, दूसरी ओर खेती का नुकसान.
खेत बने कीचड़ का ढेर
रारा गांव के सरपंच के पति, चरनजीत सिंह पीटाआई से बात करते हुए कहा कि उनके 60 एकड़ में से 40 एकड़ जमीन पर बुरी तरह सिल्ट जम चुकी है. 12 एकड़ तो पूरी तरह बह गया है, बाकी में 3-4 फीट तक कीचड़ जमा है. खेत ऐसे हैं जैसे किसी ने मिट्टी की चादर बिछा दी हो. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर भी अंदर नहीं जा सकता. ऐसे हालात में अगली फसल (रबी सीजन) बो पाना लगभग नामुमकिन है. कई किसान तो अब भी 2023 की बाढ़ के बाद अपनी जमीन से मिट्टी नहीं हटा पाए थे, अब फिर वही हालत हो गई है.
कच्चे घर गिरे, टेंट में रह रहे लोग

घर की दीवारों में दरारें आ गई हैं
चरनजीत सिंह ने पीटीआई से बताया कि गांव में करीब 8-10 कच्चे घर पूरी तरह गिर गए हैं. जिनके घर टूटे, वो अब भी तिरपाल के नीचे जी रहे हैं. बारिश फिर से हो गई तो सिर पर छत भी नहीं रहेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार आई, सर्वे हुआ, लेकिन मदद अब तक नहीं मिली.
सरकार की नीति पर सवाल
चरनजीत सिंह ने पंजाब सरकार की नई नीति ‘जिसदा खेत, उसदी रेत’ पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि जब तक कीचड़ सूखेगा, तब तक उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि सूखने के बाद वो इतनी सख्त हो जाती है कि हटाना मुश्किल हो जाता है और तब तक खरीदार भी नहीं मिलते. उनके गांव में करीब 200 एकड़ में ऐसी सिल्ट जमा है. अब इंतजार है कि सरकार इसे हटवाने में कोई मदद करे.
मेहताबपुर और मुसहैबपुर में भी तबाही

नदी ने अपना रास्ता ही बदल लिया है.
होशियारपुर के मेहताबपुर गांव के सरपंच मंजींदर सिंह पीटीआई से बात-चित में बताते हैं कि उनके इलाके में करीब 1000 एकड़ खेत कीचड़ और सिल्ट से भर चुके हैं. मेरे खुद के खेत में दो फीट तक मिट्टी जमा है. कुछ जगह तो नदी ने अपना रास्ता ही बदल लिया है और अब खेतों से होकर पानी बह रहा है, उन्होंने चिंता जताई. वहीं, मुसहैबपुर गांव के रंजीत सिंह का कहना है कि उनके 25 एकड़ खेत पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. उन्होंने कहा कि चार से छह फीट तक कीचड़ और पत्थर जमा हो गए हैं. अभी तो खेत तक पहुंचना भी मुश्किल है, काम कैसे होगा?
मकान गिरा, किराए पर रह रही महिला
गंधोवाल गांव की दलजीत कौर का घर बाढ़ में गिर गया. नींव कमजोर हो गई थी, जैसे ही पानी उतरा, घर गिर पड़ा. हम तीन बच्चों के साथ अब हरगोबिंदपुर में किराए के मकान में रह रहे हैं. उन्होंने दुख जताया कि जो थोड़ा बहुत सामान बचाया, उसी से काम चला रहे हैं. सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है.
कांग्रेस नेता ने की 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सरकार से मांग की है कि हर किसान को 20,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा तुरंत दिया जाए. आगे उन्होंने कहा कागजों और सर्वे के चक्कर में समय बर्बाद न किया जाए. नुकसान इतना बड़ा है कि तुरंत राहत देना जरूरी है.