Punjab News: पंजाब के पटियाला जिले में भारी बाढ़ ने कई गांवों की खेती को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है. कृषि विभाग की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा फसल नुकसान भुनरहेड़ी और सनौर ब्लॉक में 8,790 एकड़, फिर घनौर में 7,025 एकड़ और समाना/पटड़ा में 2,235 एकड़ में हुआ है. जिला प्रशासन ने लगभग 85 गांवों में फसल नुकसान का विशेष सर्वे (गिरदावरी) शुरू कर दिया है. 26 अगस्त से 8 सितंबर के बीच किए गए सर्वे में पाया गया कि 69 गांवों में 18,050 एकड़ धान की फसल बाढ़ से प्रभावित हुई. इनमें से 7,565 एकड़ को आंशिक रूप से 0 से 33 फीसदी और 10,485 एकड़ को 33 फीसदी से ज्यादा नुकसान हुआ है, जो सरकारी मुआवजे के लिए जरूरी न्यूनतम सीमा है.
इसके अलावा 250 एकड़ अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है, जिनमें से ज्यादातर में नुकसान 33 फीसदी से ज्यादा है. कृषि अधिकारियों ने कहा कि नई सरकारी नीति के तहत जिन किसानों की फसल को 26- 75 फीसदी तक नुकसान हुआ है, उन्हें 10,000 रुपये प्रति एकड़ और 76- 100 फीसदी नुकसान वालों को 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलेगा. पारदर्शिता के लिए 13 सितंबर से गिरदावरी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
33 से 45 दिनों में मिलेगा मुआवजा
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार पटियाला में बाढ़ से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन ने पारदर्शी और तेज प्रक्रिया शुरू की है. इसके तहत पटवारियों और पंचायतों ने मिलकर सर्वे किया, वहीं कम से कम 25 फीसदी प्रभावित जमीन की जांच कानूनगो कर रहे हैं. तहसीलदार और नायब तहसीलदार भी स्वतंत्र रूप से जांच कर रहे हैं. ड्राफ्ट रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी, ताकि किसान अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकें. अंतिम मंजूरी डिप्टी कमिश्नर देंगे. जिन गांवों में 75 फीसदी से ज्यादा फसल बर्बाद हुई या पूरा गांव डूब गया, वहां विशेष जिला स्तरीय कमेटी से सर्वे कराया जाएगा और राहत कार्य जल्दी पूरा किया जाएगा. पूरी प्रक्रिया सर्वे से लेकर मुआवजा मिलने तक 33 से 45 दिनों में पूरी करने का लक्ष्य है, जो नुकसान की गंभीरता पर निर्भर करेगा.
क्लेम को समय पर प्रोसेस किया जाएगा
जिला कृषि अधिकारी जसविंदर सिंह ने कहा कि किसानों की पात्रता के अनुसार हर क्लेम को समय पर प्रोसेस किया जाएगा. कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम गिरदावरी कर रही है, ताकि नुकसान की सही पुष्टि हो सके. प्रशासन बाढ़ प्रभावित किसानों को समय पर मदद देने के लिए पूरी तरह तैयार है. बाढ़ से फसलें बर्बाद होने के बाद अब किसानों के सामने अपने खेतों से मिट्टी (गाद) हटाने और जमीन समतल करने की चुनौती खड़ी हो गई है. कई गांवों में तो अभी तक खेतों से पानी भी नहीं निकला है.