Punjab News: पंजाब सरकार ने शुक्रवार को बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए एक नया नियम यानी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी किया है. इसके तहत किसान अपने खेतों में बाढ़ से जमा हुई रेत (सिल्ट) को निकालकर बेच सकते हैं. सरकार की ‘जिसदा खेत, उसदी रेत’ योजना के तहत, किसान 31 दिसंबर तक बिना किसी पर्यावरणीय मंजूरी (ग्रीन नोड) के यह काम कर सकेंगे. कहा जा रहा है कि इस फैसले से किसानों को बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी. खास बात यह है कि बाढ़ ने पंजाब में भारी तबाही मचाई है. इस साल भयंकर बाढ़ से करीब 4.81 लाख एकड़ फसल बर्बाद हो गई है और खेतों में भारी मात्रा में रेत जमा हो गई.
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, किसानों को रेत निकालने या बेचने के लिए सरकार को कोई रॉयल्टी नहीं देनी होगी और न ही किसी तरह का परमिट लेना पड़ेगा. पूरा काम जिला खनन अधिकारी और जिला समितियों की निगरानी में होगा. जहां किसान खुद रेत नहीं निकाल सकते, वहां वे अधिकारियों से मदद मांग सकते हैं. अधिकारी खनन ठेकेदारों से रेत हटवाने की व्यवस्था करेंगे. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि खेतों को फिर से खेती लायक बनाना उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है.
रेत हटना के लिए डीसी को दी जाएंगी मशीनें
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने उन लोगों से भी अपील की जो बाढ़ से प्रभावित नहीं हुए हैं. सीएम ने कहा है कि वे समय रहते रेत हटाने में मदद करें, ताकि किसान नवंबर के मध्य तक अगली रबी की फसल बो सकें. उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि यह एक मुश्किल काम है, लेकिन पंजाबी लोग इसे पूरा करने का हौसला और ताकत रखते हैं. जहां रेत की परत ज्यादा मोटी है, वहां के डीसी खुद तय करेंगे कि जेसीबी लगानी हैं या नहीं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर मशीनें डीसी को दी जाएंगी.
जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल
वहीं, सरकारी सूत्रों का कहना है कि जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल मुख्य रूप से रिहायशी इलाकों में किया जाएगा. खेतों में इसके बजाय ट्रैक्टरों में लगे डिस्क हैरो का उपयोग किया जा सकता है. राज्य में ऐसे ट्रैक्टर पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं. हालांकि, कुछ चुनिंदा इलाकों में जहां रेत की परत बहुत गहरी है, वहां डीसी जेसीबी इस्तेमाल की अनुमति दे सकते हैं, लेकिन बहुत सीमित मात्रा में. अधिकारियों का कहना है कि ऐसा इसलिए है, ताकि खेतों से खनिज निकालने जैसी गतिविधियां न हों, जिससे जमीन में बड़े-बड़े गड्ढे बन सकते हैं.
इन जिलों में ज्यादा जमा हुई रेत
हालांकि, सरकार के अधिकारी अभी भी कई जिलों में पानी का स्तर घटने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि खेतों में कितनी मात्रा में रेत और सिल्ट जमा हुई है. गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का, होशियारपुर और कपूरथला जिलों में रेत और सिल्ट सबसे ज्यादा जमा हुई है. राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के नियमों के तहत, किसानों को मदद देने का प्रावधान भी है. इसके तहत, खेती की जमीन से सिल्ट हटाने पर प्रति हेक्टेयर 18,000 रुपये और अगर नदी ने अपना रास्ता बदल दिया है, तो नुकसान की भरपाई के लिए 47,000 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे.