आपके किचन में रोज तड़के में जो खुशबू सबसे पहले आती है, वो अक्सर हींग की होती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये हींग आखिर बनती कैसे है? क्या ये किसी पौधे पर लगती है, या फली से निकलती है? और सबसे अहम बात ये इतनी महंगी क्यों होती है? आइए, जानते हैं हींग से जुड़ी हर वो बात जो अब तक एक राज की तरह थी.
हींग बनती कैसे है?
हींग कोई मशीन से बनी चीज नहीं है, बल्कि यह एक खास पौधे की जड़ से निकलने वाला प्राकृतिक गोंद होता है. यह पौधा करीब एक मीटर ऊंचा होता है और इसके पीले रंग के फूल होते हैं, जो दूर से सरसों के फूल जैसे दिखते हैं. लेकिन खास बात यह है कि हींग पौधे की जड़ के अंदर छिपा होता है, न कि फूल या पत्तियों में. जब पौधे की जड़ को हल्का-सा काटा जाता है, तो उससे एक गाढ़ा रस (गोंद जैसा पदार्थ) निकलता है. यही रस सूखकर हींग बनता है.
खाने वाली हींग कैसे बनती है?
जड़ से निकले इस प्राकृतिक रस को ऐसे ही नहीं खाया जा सकता. इसे प्रोसेस करना होता है. सबसे पहले उसे सुखाया जाता है, फिर इसमें स्टार्च और गोंद मिलाया जाता है, ताकि इसे पचाने लायक और इस्तेमाल के काबिल बनाया जा सके. फिर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर, पाउडर या लड्डू की शक्ल में बाजार में बेचा जाता है.
कहां पैदा होती है हींग?
भारत में हींग की पैदावार लगभग न के बराबर होती है. देश में जो भी हींग इस्तेमाल होती है, उसका बड़ा हिस्सा ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से आयात किया जाता है. हाल के वर्षों में हिमाचल प्रदेश और कुछ पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती शुरू जरूर हुई है, लेकिन अभी भी ये देश की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी नहीं है.
इतनी महंगी क्यों होती है हींग?
बाजार में हींग की कीमत 8 से 12 हजार रुपये किलो के आप पास चल रही है, इसके महंगे होने के पीछे कई वजहें हैं:
विदेश से आयात: चूंकि भारत में उत्पादन कम है, इसलिए हमें इसे बाहर से मंगवाना पड़ता है, जिस पर भारी टैक्स और ट्रांसपोर्ट का खर्च आता है.
कम सप्लाई, ज्यादा डिमांड: भारत में हर घर में हींग का इस्तेमाल होता है, लेकिन सप्लाई कम है, जिससे कीमत बढ़ती है.
प्रोसेसिंग खर्चीला है: हींग को खाने लायक बनाने में समय और तकनीक लगती है, जो उसे और महंगा बनाती है.
हींग की 130 से ज्यादा किस्में
पूरी दुनिया में हींग की लगभग 130 किस्में पाई जाती हैं. इसमें मुख्य रूप से सफेद हींग (जो पानी में घुलती है) और लाल/काली हींग (जो तेल में घुलती है) प्रमुख हैं. इनका इस्तेमाल अलग-अलग व्यंजन और औषधीय कामों में होता है. हींग का पौधा तैयार होने में करीब 4 साल लगते हैं, यानी यह एक धीमी लेकिन बहुपयोगी फसल है. हींग न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि यह पेट दर्द, गैस, अपच, और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करने में मदद करती है. यही वजह है कि इसे एक औषधि भी माना जाता है.