काली मिर्च, हल्दी, अदरक की बिक्री पर संकट, अमेरिका ने बढ़ाया मसालों पर टैरिफ

अमेरिका द्वारा भारतीय मसालों पर 25 फीसदी टैरिफ (शुल्क) बढ़ाने की घोषणा के बाद, भारतीय मसाले जैसे कि काली मिर्च, हल्दी और अदरक अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे.

नई दिल्ली | Published: 2 Aug, 2025 | 08:18 AM

देश के करोड़ों मसाला किसानों और निर्यातकों के लिए एक बड़ी चिंता की खबर सामने आई है. अमेरिका द्वारा भारतीय मसालों पर 25 फीसदी टैरिफ (शुल्क) बढ़ाने की घोषणा के बाद, भारतीय मसाले जैसे कि काली मिर्च, हल्दी और अदरक अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे. इससे भारतीय मसाला निर्यातकों को ASEAN (वियतनाम, इंडोनेशिया) जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के सामने बाजार खोने का डर सता रहा है.

अमेरिका क्यों है अहम बाजार?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अमेरिका भारतीय मसालों के लिए दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है. 2024-25 में भारत से अमेरिका को 711 मिलियन डॉलर (लगभग 5900 करोड़ रुपये) के मसाले निर्यात किए गए, जो कि पिछले साल की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा हैं. मात्रा में भी 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

भारत का कुल मसाला निर्यात भी रिकॉर्ड पर

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने कुल 4.722 अरब डॉलर के मसाले विदेशों में बेचे, जो पिछले साल के 4.46 अरब डॉलर से करीब 6 फीसदी ज्यादा है.

अब क्या हो सकता है असर?

1. भारतीय मसाले होंगे महंगे
भारतीय मसालों पर पहले से ही 10 फीसदी टैरिफ लगता था, जो अब 25 फीसदी हो सकता है. इसका मतलब है कि अमेरिकी ग्राहकों के लिए भारतीय मसाले बहुत महंगे हो जाएंगे.

2. वियतनाम-इंडोनेशिया को बढ़त
वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों पर 20 फीसदी से कम टैक्स लग रहा है, जिससे उनके मसाले सस्ते पड़ेंगे और अमेरिकी खरीदार उनकी ओर झुक सकते हैं.

3. मांग घटेगी, ऑर्डर रुक सकते हैं
अमेरिकी सुपरमार्केट ब्रांड्स या तो कीमतें बढ़ा देंगे या उत्पादों की वैरायटी कम कर देंगे, जिससे ग्राहकों की मांग में गिरावट आ सकती है और भारत से ऑर्डर कम हो सकते हैं.

निर्यातकों की परेशानी क्या है?

प्रकाश नांबूदिरी, एबी माउरी इंडिया के डायरेक्टर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि बताया “मसालों की बिक्री पहले ही बहुत कम मुनाफे पर होती है बस 2 फीसदी से 5 फीसदी तक. अगर खरीदार 25 फीसदी अतिरिक्त चार्ज नहीं देना चाहते, तो हमें ही नुकसान झेलना पड़ेगा. कई निर्यातक तो पहले से कच्चा माल खरीद चुके हैं, अगर ऑर्डर कैंसिल हुए, तो भारी घाटा होगा.”

इमैनुएल नंबुसेरिल, ऑल इंडिया स्पाइसेस एक्सपोर्टर्स फोरम के चेयरमैन कहते हैं “हम ये देखना चाहते हैं कि फाइनल टैरिफ कितना होता है. अगर ज्यादा हुआ, तो कुछ महीनों के लिए निर्यात घट सकता है, लेकिन हमें उम्मीद है कि 3-4 महीने में हालात सामान्य हो सकते हैं.”

भविष्य में क्या हो सकता है?

  • निर्यातकों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा
  • खरीदार नए देशों से खरीदारी की कोशिश करेंगे
  • मसालों की ग्लोबल वैल्यू में भारत की हिस्सेदारी घट सकती है

भारत सरकार से उम्मीदें

निर्यातक अब भारत सरकार से कूटनीतिक दखल की उम्मीद कर रहे हैं ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को फिर से संतुलित किया जा सके और मसालों को अतिरिक्त टैक्स से छूट दिलाई जा सके.