गुजरात के आमों की दुनियाभर में जबरदस्त मांग, 5 साल में 3,000 टन हुआ एक्सपोर्ट

गुजरात में बागवानी फसलों के कुल 4.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 1.77 लाख हेक्टेयर यानी 37 फीसदी भूमि पर केवल आम की खेती हुई. वलसाड, नवसारी, गिर सोमनाथ, कच्छ और सूरत जैसे जिले राज्य के आम के प्रोडक्शन का गढ़ बन चुके हैं.

नई दिल्ली | Published: 21 Jul, 2025 | 03:22 PM

पिछले 5 सालों में गुजरात के स्वादिष्ट आम ने विदेशों में भी अपनी धाक जमाई है. अमेरिका, साउथ अफ्रीका और अन्य देशों को 2019-20 से लेकर 2024-25 के बीच कुल 3,000 टन आमों का निर्यात किया गया है. हैरानी की बात ये है कि अकेले कारोबारी साल 2024-25 में ही 29 फीसदी यानी 856 टन आम विदेशों को भेजे गए, जिनमें ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन’ टैग से सजे मशहूर गिर केसर आम भी शामिल हैं.

बागानों से बंदरगाह तक आम की चमक

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, गुजरात में बागवानी फसलों के कुल 4.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 1.77 लाख हेक्टेयर यानी 37 फीसदी भूमि पर केवल आम की खेती हुई. वलसाड, नवसारी, गिर सोमनाथ, कच्छ और सूरत जैसे जिले राज्य के आम के प्रोडक्शन का गढ़ बन चुके हैं. साल 2021-22 में जहां आम का उत्पादन 9.17 लाख टन था, वहीं 2023-24 में यह 21 फीसदी बढ़कर 11.15 लाख टन पहुंच गया. इसके साथ ही उत्पादन क्षेत्र भी 8.4 फीसदी बढ़कर 1.77 लाख हेक्टेयर हो गया.

अमरेली की जमीन बनी आम की ताकत

2023-24 में नवसारी, वलसाड और गिर सोमनाथ ने सबसे अधिक आम उगाए. आम की उत्पादकता के मामले में अमरेली जिले ने बाजी मारी. यहां प्रति हेक्टेयर 8.16 मीट्रिक टन की उत्पादकता के साथ कुल 60,600 टन आम सिर्फ 7,430 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाए गए.

रेडिएशन प्लांट से विदेशी थालियों तक पहुंचे

गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन द्वारा संचालित बावला स्थित गामा रेडिएशन प्रोसेसिंग प्लांट ने 2019-2025 के बीच 805 मीट्रिक टन आमों को निर्यात से पहले रेडिएशन प्रक्रिया से गुजारा. यह प्लांट यूएसडीए-APHIS से प्रमाणित है, जिससे अमेरिका जैसे देशों को सेहतमंद और सुरक्षित आम भेजे जाते हैं.

क्यों अहम है ये सफर?

गुजरात का ये आम निर्यात केवल एक व्यापारिक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह राज्य के किसानों की मेहनत, वैज्ञानिक तकनीकों का सहयोग और वैश्विक मानकों की पूर्ति की कहानी है. जब देशी जमीन से उगा एक फल अमेरिका के बाजार में मुस्कुराता है, तो यह केवल एक आम नहीं, बल्कि भारत की प्रतिष्ठा का मीठा प्रतीक बन जाता है.